इस्लामाबाद,। अब तक जिसे पाकिस्तान खुद की ‘संपत्ती’ मानकर चल रहा था, वही तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान (TTP) अब इस्लामाबाद को ही डराने लगा है। द एशियन लाइट इंटरनेशनल में सकारिया करीम लिखते हैं कि टीटीपी अब खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताते हुए वैश्विक समुदाय को गुमराह करने में लगा है।
खतरनाक होती स्थितियां
यह साल एक खतरनाक इशारे के साथ समाप्त हुआ है, जिसमें सजा काट रहे लगभग 33 इस्लामी आतंकवादीयों ने सुरक्षाकर्मियों से बंदूकें छीनकर उन्हें उनके ही कार्यालय में तीन दिन तक बंदी बनाकर रखा और दो की हत्या भी कर दी। मीडिया ने इसे दु:साहसी घटना बताते हुए सरकार और अफगानिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों के बीच टकराव को स्वीकार किया है।
पाकिस्तान में सीमापार आतंकवाद बढ़ा है, लेकिन सच्चाई यह है कि मुशर्रफ से लेकर शाहबाज शरीफ तक जो भी इस्लामाबाद में सत्ता पर काबिज हुआ उसने अपनी सत्ता बचाने के लिए सेना और आतंकवादियों दोनों का इस्तेमाल किया। इस साल सीमापार आतंकवाद के कारण 145 नागरिक और पुलिसवाले मारे गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता
संयुक्त राष्ट्र के नैतृत्व में विश्व समुदाय ने इस संबंध में अपनी चिंता जाहिर की है। पाकिस्तान के राजनेता अपनी आपसी स्थानीय लड़ाइयों में लगे हैं। वे सेना से उम्मीद लगाए बैठे हैं जो खुद दोबारा सिर उठा रहे आतंकवाद की निपटने में लड़खड़ा रही है। द एशिया लाइट की खबर के अनुसार लगातार चल रहे राजनैतिक टकराव से सेना की छवि भी धूमिल हुई है।