मऊ

अब एक नयी “आभा” से दमकेगा मऊ का साङी उद्योग… पश्चिम बंगाल के उद्योगपति दम्पती ने शुरू की कवायद


मऊ।मऊवाली साङी के नाम से मशहूर जनपद का साङी उद्योग एक नयी आभा के साथ अब विश्व के कोने-कोने में दमकेगा।बुनकरों को इस चमक का एहसास बुधवार को तब हुआ,जब पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध उद्योग पति हरेन्द्र पाण्डेय और उनकी पत्नी आभा सीधे मऊ नगर के बुनकर कालोनी में पहुंचकर फैयाज के लूम का न सिर्फ निरीक्षण किया,बल्कि उनकी लगन और मेहनत का सीधा अवलोकन करते हुए मऊ के साङी उद्योग को एक नयी पहचान और एक नयी आभा से आलोकित करने की दिशा में अपनी सकारात्मक सोच का जिक्र किया।उन्होंने लूम के अलावा इम्ब्रायडरी मशीन के कारखाने का भी निरीक्षण किया,जहां बुनकरों की साड़ियों को एक नया लुक मिलता है और बुनकरों के लूम से निकलने वाली डेढ़ सौ रूपये की साङियों को पांच सौ से लेकर दस हज़ार रूपये तक की कीमत का स्वरूप प्रदान किया जाता है।बमुश्किल दिन भर में दो से तीन साड़ियाँ बुनने वाले बुनकर की कङी मेहनत को तब एक अनमोल खुशी मिलती है,जब उनकी बुनी साङियों को नया कलेवर देकर ट्रांसपोर्ट किया जाता है और उसकी कीमत एक बार फिर नयी उंचाईयों को छूने लगती है।बुनकरों की खुशियों का तब कोई पारावार नहीं रहता जब वे अपनी साङियों को रईस खानदान की बहुओं के तन पर लिपटे देखते हैं और उन्हें अपनी कला पर फक्र होता है।लेकिन,भारतीय नारी के सम्मान को ढकने वाला बुनकर आज खुद बदहाल है और दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए अपनी जिंदगी से जद्दोजहद करता नज़र आ रहा है।ऐसे में उद्योग पति दम्पती की बुनकरों के हित में की गयी पहल निश्चित रूप से मऊ के साङी उद्योग के इतिहास में एक नयी इबारत लिखेगी।उद्योग पति दम्पती को अपने बीच पाकर बुनकरों के सिकुङे चेहरों पर एक नयी आभा के बीच उम्मीद की भी एक नयी किरण देखने को मिली।