नई दिल्ली, । भारत-चीन के बीच सैन्य अधिकारियों की वार्ता बेनतीजा रही। भारत-चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच यह 14वें दौर की वार्ता थी। मार्च, 2021 में हुई सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में ही यह तय किया गया था कि आमने-सामने तैनात सैनिकों को पीछे हटाया जाएगा। खास बात यह है सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 14 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन चीन सीमा विवाद की गुत्थी को सुलझाने में जमीनी स्तर पर आगे नहीं आ रहा है। आखिर वार्ता को जारी रखने और सीमा विवाद को लटकाए रहने के पीछे चीन की बड़ी चाल क्या है। सीमा विवाद पर चीन की इस डिप्लोमेसी को विशेषज्ञ किस नजरिए से देखते हैं। आखिर इसके पीछे चीन की बड़ी मंशा क्या है।
क्या सीमा विवाद पर वार्ता चीन का एक दिखावा मात्र है ?
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि सीमा विवाद पर चीन के रवैये से यह साफ हो जाता है कि उसकी दिलचस्पी इसमें कम ही है। चीन दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वह भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए प्रयासरत है। चीन के खाने के और दिखाने के दांत अलग-अलग है। वह दुनिया के समक्ष यह दिखाने में लगा है कि भारत के साथ उसके सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी रखे है।
2- टेबल पर चीन अपने रवैये से टस से मस नहीं हो रहा है। यही कारण है कि 14 दौर की वार्ता के बाद भी सीमा विवाद की समस्या जस की तस बनी हुई है। सीमा विवाद को सुलझाने में चीन की करनी और कथनी में बड़ा फर्क दिखता है। यही कारण है कि वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में चीन ने हाट स्प्रिंग के पट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिक पीछे हटाने के लिए राजी हो गया था, लेकिन बाद में वह अपने वादे से ही मुकर गया। भारत अंतरराष्ट्रीय कानून और सीमाओं का पूरी तरह से पालन करने में विश्वास करता है।
सैन्य वार्ता में भारत का क्या स्टैंड है ?
1- भारत पहले भी चीन के समक्ष यह साफ कर चुका है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी और पूर्वी लद्दाख के इलाके में मई, 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल किए बगैर रिश्तों को सामान्य बनाना मुश्किल है। चीन भारत के इस जायज मांग को मानने को तैयार नहीं है। मार्च, 2021 में हुई सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में ही यह तय किया गया था कि आमने-सामने तैनात सैनिकों को पीछे हटाया जाएगा। इसके बाद चीन ने कुछ जगहों से सैनिकों को पीछे किया और वहां सामान्य स्थिति बहाल भी की गई, लेकिन उसके बाद चीन के रवैये में बदलाव नहीं देखा गया।
2- अभी एलएसी पर स्थित हाट स्पि्रंग, डेपसांग व गोगरा के इलाके का मामला सबसे पेचीदा है। 12वें दौर की वार्ता में भी इन तीनों स्थलों पर सैनिकों की वापसी पर दोनों पक्षों की तरफ से अपना अपना प्रस्ताव पेश किया गया था। अक्टूबर, 2021 में 13वें दौर की वार्ता में भी भारत और चीन के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर भारत का रुख बेहद सकारात्मक रहा है, लेकिन ड्रैगन ने इसे स्वीकार नहीं किया। भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच यह 14वें दौर की वार्ता है। सूत्रों के मुताबिक, बुधवार की वार्ता में एलएसी पर स्थित उन स्थानों से सैनिकों की वापसी पर हुई जहां दोनों तरफ के सैनिक कुछ सौ मीटर की दूरी पर आमने-सामने तैनात हैं।