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प्रकृतिका बिगड़ता मिजाज
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 526 ऋतुपर्ण दवे प्रकृति और मनुष्यके बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। नतीजा सामने है, गर्मियोंमें बरसात, बरसातमें गर्मी और ठण्डमें पसीनेके अहसासके बावजूद हमारा नहीं चेतना एक बड़ी लापरवाही, बल्कि आपदाको खुद न्यौता देने जैसा है। सच तो यह है कि प्रकृतिकी अपनी प्राकृतिक वातानुकूलन प्रणाली है जो बुरी तरहसे प्रभावित हो […]
ध्यान
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 906 बाबा हरदेव एक मिसालके पीछे केवल एक ही भाव है कि गुरुका ध्यान किया हुआ कर्म ही प्रधान हो जाता है। कई बार इनसान सोच लेता है कि आज भले मेला देखो, वहां हाजिरी तो लग ही जायगी। दिमाग जो सोचता है उसमें बनावट हुआ करती है। वास्तवमें भक्ति दिमागका विषय नहीं, […]
ज्ञानकी महत्ता
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 1,004 श्रीश्री रविशंकर ज्ञानीके पास जो कुछ है, उससे वह खुश है तथा जो कुछ नहीं है, उससे भी वह प्रसन्न है। मूर्खके पास जो भी है, उससे वह नाखुश है और जो कुछ नहीं है, उसके लिए अप्रसन्न। कोई व्यक्ति हमें दुख नहीं देता, न ही जीवनमें कोई वस्तु हमारे क्लेशका कारण […]