सुरक्षाबलों पर घात लगाकर किए गए इस हमले में करीब 400 नक्सली शामिल थे. दरअसल सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग की थी. इस अभियान में करीब 1500 जवानों की टुकड़ी को लगाया गया था. इसके बावजूद भी हमारे सुरक्षाबलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया और सुरक्षाकर्मियों को तीन तरफ से घेर लिया. उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने इस हमले में हल्की मशीन गन से गोलियों की बौछार कर दी और कम तीव्रता वाले आईईडी का इस्तेमाल किया और ये हमला कई घंटे जारी रहा.
केशवा राव आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले का रहने वाला है. 66 साल का केशवा राजू किंथली कलिंगा जाति से आता है. हमेशा की तरह नक्सलियों ने फरवरी से जून के बीच होने वाले खास हमले की शक्ल में इस वारदात को भी अंजाम दिया है. इस हमले को टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (TCOC) कहा जाता है. इसी तरह के हमले पहले भी हुए हैं, जिसमें 76 जवान शहीद हो चुके हैं.
फरवरी से जून के समय में हमले को दिया जाता है अजाम
बीएसएफ से रिटायर्ड कमांडेंट लईक अहमद सिद्दीकी बताते हैं, ‘फरवरी के बाद मौसम में बदलाव होता है. पतझड़ के मौसम के चलते जंगल में बड़े बदलाव आते हैं. पेड़ों पर पत्ते नहीं रहते, जिसके चलते दूर ऊंचाई पर बैठे नक्सली जवानों की मूवमेंट को आसानी से देखते रहते हैं. यही वजह है कि पूरे साल बड़े हमलों का इंतजार करने वाले नक्सली टीसीओसी को फरवरी-जून में अंजाम देते हैं.’
बीजापुर माओवादी हमले में अब तक 24 जवान हो चुके हैं शहीद
बीजापुर माओवादी मुठभेड़ में अब तक 24 जवानों की शहादत हुई है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुई इस घटना को 400 से अधिक माओवादियों ने अंजाम दिया. हालांकि इस दौरान जवानों ने माओवादियों को पीछे धकेलते हुए जमकर लोहा लिया. इस घटना में घायल 13 घायल जवानों की राजधानी रायपुर में गहन चिकित्सा जारी है. यही नहीं, जिन जवानों को बुलेट लगी है उनके हौसले साफ हैं कि आने वाले दिनों में यदि इस तरह की मुठभेड़ होती है वह पीछे हटने वाले नहीं हैं.