लखनऊ, डा. वेद प्रकाश। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘ओमिक्रोन’ ने दुनिया भर की चिंता बढ़ा दी है। 32 म्यूटेशन वाला यह वायरस अब भारत में भी दस्तक दे चुका है। वहीं धुंध और प्रदूषण का प्रकोप स्वास्थ्य के लिए दोहरी चुनौती बना है। सेहत पर मंडरा रहे इस संकट से सभी को मिलकर लड़ना होगा। इसे सिर्फ सरकार के भरोसे छोड़ना उचित नहीं होगा और न ही प्रदूषण को कम करने के लिए कानून बनाने से काम चलेगा। इसे प्रधानमंत्री ‘स्वच्छता अभियान’ की तर्ज पर जनआंदोलन बनाना होगा, जैसे साफ-सफाई जीवनशैली का हिस्सा बनने लगी है, वैसे ही प्रदूषण नियंत्रण की पहल भी सबको करनी होगी। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन भले ही दूसरी लहर वाले ‘डेल्टा’ वैरिएंट से तेजी से फैलता हो, मगर सतर्कता बरतकर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
एंटीबाडी को चकमा देने की क्षमता: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार, देश में अब तक 85 फीसद आबादी को पहली डोज लग चुकी है। ऐसे में वायरस के प्रति बड़ी संख्या में लोगों में एंटीबाडी बन चुकी है और इसे कोरोना के कम होते मरीजों के तौर पर देखा जा सकता है। नए वैरिएंट ओमिक्रोन (बी.1.1.1.529) में देखे गए के 417 एन और ई 484 ए म्यूटेशन वैक्सीन से बनी एंटीबाडीज को चकमा देने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा एन 440 के और एस 477 एन म्यूटेशन इसे एंटीबाडी से बचने में माहिर बनाता है। इस वैरिएंट में पी 681 एच और एन 679 के म्यूटेशन का भी पता चला है, जो पहली बार देखा गया है। अध्ययन में वैज्ञानिकों का दावा है कि इसकी प्रकृति गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। इसमें 32 म्यूटेशन देखे गए हैं, जो इसे काफी संक्रामक बनाते हैं। इसका पहला केस नवंबर 2021 में साउथ अफ्रीका में पाया गया। अब यह 30 से अधिक देशों में पांव पसार चुका है।
ओमिक्रोन के लक्षण: इसके आम लक्षणों में बुखार, खांसी, कमजोरी-थकान, स्वाद व सूंघने की क्षमता में कमी आना है, जबकि गंभीर लक्षणों में गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, डायरिया, त्वचा पर चकत्ते, हाथ-पैर की अंगुलियों का रंग बदलना, आंखों में लालिमा व खुजली शामिल है। गंभीर लक्षणों में सांस फूलना, आवाज रुकना, चलने-फिरने में असमर्थता, याद्दाश्त में कमी व छाती में दर्द होना है।
लक्षण होने पर क्या करें
- कोविड के लक्षण होने पर तत्काल आरटीपीसीआर के साथ ही नए स्ट्रेन की पुष्टि के लिए जीन सीक्वेसिंग टेस्ट कराएं
- कोरोना पाजिटिव होने पर कोविड हेल्प लाइन से संपर्क करें और आइसोलेट हो जाएं। कोविड प्रोटोकाल का पालन करें
इम्युनिटी रखें दुरुस्त
- मौसमी फलों का सेवन करें
- लहसुन खाएं, इसमें एंटीबायोटिक तत्व होते हैं
- मशरूम के सेवन से व्हाइट ब्लड सेल का निर्माण होता है
- गाजर-चुकंदर के सेवन से लाल रक्त कणिकाओं में इजाफा होता है
- हरी सब्जियों के सेवन से विटामिंस, प्रोटीन और पोषक तत्व मिलते हैं
- इस मौसम की सब्जियां जैसे पालक, सोया और बथुआ को भोजन में शामिल करें
मास्क से मिलेगी सुरक्षा
प्रदूषण व कोरोना से बचाव के लिए पहले के मुकाबले अब ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। देश में दूसरी लहर गर्मी में आई थी और उस वक्त प्रदूषण इस स्तर पर नहीं था। अब मौसम में धुंध व प्रदूषण छाया हुआ है। ऐसे में मास्क लगाकर ही निकलें। यह कोरोना व प्रदूषण दोनों से बचाव में मददगार होगा। इसके अलावा कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करें।
फेफड़े रखें फिट
- पौष्टिक आहार का सेवन करें
- गर्म पानी पिएं और भाप लें
- प्रदूषण के कारण व्यायाम घर पर ही करें
- स्ट्रेचिंग, एरोबिक, डीप ब्रीदिंग आदि एक्सरसाइज फेफड़ों की ताकत बढ़ाएंगी
- सांस रोगी इनहेलर आदि दवाएं बंद न करें साथ ही चिकित्सक की सलाह लेते रहें
- मच्छर भगाने वाली क्वायल की जगह मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर में धूपबत्ती, अगरबत्ती की जगह दीपक जलाएं। घर में कबाड़ जलाने से बचें
प्रदूषण का फेफड़ों व अन्य अंगों पर वार: देश में दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों की हवा जहरीली हो गई है। प्रदूषित हवा सीधे श्वसन तंत्र पर हमला कर रही है। फेफड़ों में एकत्रित हो रहे खतरनाक कण खून में घुलकर शरीर की रासायनिक प्रक्रिया बदल रहे हैं। ऐसे में हार्ट अटैक, अस्थमा, त्वचा व आंखों की एलर्जी, कैंसर आदि का खतरा बढ़ जाता है।
कोरोना को बढ़ा सकता है प्रदूषण: प्रदूषण के चलते वातावरण में पीएम 10, पीएम 2.5, पीएम 0.1 की अधिकता बनी हुई है। कई शहरों में यह खतरनाक स्तर को पार कर चुका है। वहीं रोगी के श्वसन तंत्र से निकलने वाले एयरोसोल-माइक्रोड्रापलेट्स वायरस के प्रसार के वाहक हैं। पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) और एयरोसोल-ड्रापलेट का मिश्रण ज्यादा देर तक वायुमंडल में रहता है और ये वायुजनित संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है।
कोरोना व प्रदूषण, दोहरी आफत: प्रदूषण से दूषित फेफड़े कोरोना संक्रमित व्यक्ति को गंभीर स्थिति में पहुंचा सकते हैं। दरअसल, श्वसन नलिका में सूजन के कारण फेफड़े हवा को पूरी तरह अंदर नहीं पहुंचा पाते और ऐसे में व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण हो गया तो स्थिति और बिगड़ जाएगी। शरीर में आक्सीजन की कमी होने से मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाएगा और उसे आइसीयू केयर में रखना पड़ सकता है।
वेंटीलेटर से लौटे व गर्भवती रखें ध्यान: कोरोना से पीड़ित कई मरीज वेंटीलेटर पर रहे हैं। इससे फेफड़े कमजोर हुए हैं। ब्लैक फंगस का असर भी फेफड़ों में देखा गया है और बच्चों को वैक्सीन अभी लगी नहीं है। ऐसे मरीजों के साथ ही बुजुर्ग व गर्भवती महिलाएं सतर्क रहें। गर्भवती महिलाओं में प्रदूषण का असर शिशु में जन्मजात विकार पैदा कर सकता है।