Post Views: 831 श्रीराम शर्मा प्रत्येक मानवका धर्म, सामान्यसे ऊपर, वह कर्तव्य है, जिसे अपनाकर लौकिक, आत्मिक उत्कर्षके मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं। धर्म अर्थात जिसे धारण करनेसे व्यक्ति एवं समाजका सर्वांगीण हित साधन होता है। आस्तिकता और कर्तव्य परायणताको मानव जीवनका धर्म, कर्तव्य माना गया है। इनका प्रभाव सबसे पहले अपने समीपवर्ती स्वजन शरीरपर […]
Post Views: 886 भारतमें अवैध रूपसे रह रहे बंगलादेशियोंका मामला आज कोई नयी बात नही है। यह मुद्दा किसी न किसी बहाने आये दिन चर्चामें रहता है। वर्तमान समयमें बंगाल, असमके निर्वाचनमें ये अवैध बंगलादेशी मतदाता बनकर अहम भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। बंगालमें चुनावमें बंगलादेशी निर्णायककी भूमिकाका निर्वाह कर रहे हैं। केन्द्रकी पूर्व […]
Post Views: 731 हृदयनारायण दीक्षित मनोनुकूल वक्तव्य प्रिय लगते हैं। हम सब वरिष्ठोंके वक्तव्य सुनते हैं। वक्ता कभी-कभी हमारे मनकी बात भी कहते हैं। वक्ता मूलत: अपने मनकी बात करते हैं लेकिन उसके मनकी बात हमारे मनसे मिलती है। हम प्रसन्न होते हैं। हम मनोनुकूल वक्तव्य सुनकर ही वक्तासे प्रभावित होते हैं। दूसरेसे प्रभावित होनेका […]