सम्पादकीय

दूसरी लहरका कहर


केन्द्र सरकारने स्वीकार किया है कि महाराष्टï्रमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहरका कहर शुरू हो गया है। वहां कोरोनाके मामले तेजीसे बढ़ रहे हैं। एक दिनके अन्दर लगभग दोगुने नये मामले सामने आये हैं, जो इसकी भयावहताकी ओर संकेत करते हैं। देशके ७० जिलेमें १५० प्रतिशतसे अधिक कोरोनाके मामले बढ़े हैं। इसमें पश्चिम भारतके ज्यादातर जिले हैं। अभी ६० प्रतिशत सक्रिय मामले और मृत्युके ४५ प्रतिशत मामले महाराष्टï्रमें हैं। पंजाब, गुजरात और छत्तीसगढ़में भी ऐसे ही हालात हैं। अन्य कई राज्योंकी स्थिति भी चिन्ताजनक है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने बुधवारको कोरोनासे अधिक प्रभावित राज्योंके मुख्य मंत्रियोंके साथ वीडियो कांफ्रेंसिंगके माध्यमसे बैठक की और इसपर अंकुश लगानेकी दिशामें प्रभावी कदम उठाये जानेपर भी मंथन किया। जो स्थितियां हैं उसे देखते हुए कई राज्योंने कड़े प्रतिबन्ध लगाने शुरू कर दिये हैं। महाराष्टï्र, केरलके बाद अब पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेशके प्रभावित शहरोंमें रात्रिकालीन कफ्र्यू लगा दिये गये हैं। कुछ स्थानोंपर ३१ मार्चतक कफ्र्यू बढ़ा दिये गये हैं। महाराष्टï्र सरकारने कोरोनाके सन्दर्भमें नया दिशा-निर्देश जारी कर दिया है, जिसमें कुछ नये प्रतिबन्ध भी हैं। देशमें एक ओर टीकाकरणका अभियान चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर लोगोंकी लापरवाहीसे स्थिति ज्यादा खराब हो गयी है। यदि इसी प्रकार लापरवाही बरती गयी तो आनेवाले दिनोंमें हालात और भी गम्भीर हो जायंगे। इसलिए बचावमें सख्तीके साथ ही जांचमें भी तेजी लानेकी जरूरत है। केन्द्र सरकारको कोरोनासे अधिक प्रभावित राज्योंके लिए विशेष रणनीति बनानेके साथ ही कुछ कड़े कदम भी उठाने चाहिए क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना संक्रमणकी तेज गतिसे वापसी हो रही है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने मौजूदा स्थितिको देखते हुए कहा है कि हमें कोरोनाकी उभरती हुई दूसरी लहरको तुरन्त रोकना होगा। संक्रमितों और मृतकोंके आंकड़ोंमें आयी तेजी चिन्ताकी बात है। बुधवारको २८,९०३ नये मामले सामने आये और २४ घण्टोंमें १८८ लोगोंकी मृत्यु हुई। प्रधान मंत्रीने छोटे शहरोंपर विशेष ध्यान देनेको कहा है जहां संक्रमण बढ़ रहे हैं। जनताको स्वेच्छासे सावधानी और सतर्कता बरतनेकी आवश्यकता। बचावके उपायोंका भी सख्तीसे अनुपालन करना होगा।

चिन्ताजनक प्रदूषण

कोरोना संक्रमण जहां एक बार फिर तेजीसे पांव पसार रहा है, वहीं बढ़ता प्रदूषण स्थितिको और गम्भीर बना रहा है। बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समयकी सबसे बड़ी समस्या बन गया है। लाकडाउन खत्म होनेके बादसे ही प्रदूषणका स्तर लगातार बढ़ रहा है और हवा जहरीली होती जा रही है, यही कारण है कि भारत दुनियाका सबसे प्रदूषित देशोंमें तीसरे स्थानपर पहुंच गया है। स्विश संघटन आईक्यू एयरने जो रिपोर्ट जारी की है वह भारतकी चिन्ता बढ़ानेवाली है। रिपोर्टमें कहा गया है कि दुनियाके सबसे प्रदूषित ३० शहरोंमेंसे २२ भारतके हैं जबकि देशकी राजधानी दिल्ली दुनियाके सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी शहरोंकी सूचीमें शीर्षपर है। हालांकि २०१९ के मुकाबले २०२० में दिल्लीकी वायु गुणवत्तामें सुधार हुआ है लेकिन इसके बावजूद दिल्ली दुनियाका सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्यपर प्रतिकूल असर डालनेवाले सात प्रदूषकोंपर सरकारने रोक भी लगायी है लेकिन शहरोंमें प्रदूषणका सबसे बड़ा कारण परिवहन क्षेत्र है। इसके लिए हमें ऐसी तकनीक अपनानी होगी जिससे यातायात प्रदूषण मुक्त हो। सरकारको विनिर्माणके क्षेत्रपर भी विशेष ध्यान देनेकी जरूरत है, क्योंकि खुले स्थानोंपर रखे बालू और मिट्टïीके कण हवामें जहरका काम करते हैं। इसके साथ ही अनावश्यक और अनुपयोगी ध्वनियोंपर रोक लगानी होगी। प्रदूषणसे शरीरकी रोगप्रतिरोधी क्षमता घट जाती है। प्रदूषणके महीन कण फेफड़ोंको नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसेमें प्रदूषणको कम करना बड़ी चुनौती होगी। इस चुनौतीसे केवल सरकारके भरोसे नहीं निबटा जा सकता है। इसके लिए जनताको आगे आना होगा और नि:स्वार्थ भावसे प्रदूषणको कम करनेमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर इसे जनअभियान बनाना होगा, क्योंकि मानवकृत आपदासे मुक्ति मानव ही दिला सकता है। प्रदूषण मानव ही नहीं पशु-पक्षी और वनस्पतियोंपर भी बुरा असर डालता है, इसलिए इसे रोकनेके लिए सरकारके साथ जनताको भी अपनी जिम्मेदारी तय करनी होगी।