संक्रांति पर जमकर पतंगबाजी, साउंड सिस्टम पर बजे फिल्मी गीत
मकर संक्रांति पर गुरुवार को लोगों ने गंगा स्नान और दान-पुण्य के बाद जमकर मौज-मस्ती की। कड़ाके की ठंड और काठ कर देने पर अमादा गलन भी लोगों के उत्साह को पार नहीं पा पाई। परिवार के साथ गुनगुनी धूप और शीतलहर के बीच लोगों खूब पतंगबाजी की। पेंच लड़ाये और भक्काटे की गूंज होती रही। इस दौरान फिल्मी गीत साउंड सिस्टम पर गूंंजते रहे और चूड़ा-मटर, गाजर के हलवे के साथ काफी का लोगों ने आनंद भी उठाया। यह सिलसिला सायंकाल तक चला और हवा ठीक होने के कारण शहर से लेकर गांव तक पेंच लड़ते रहे।
काशी की आबोहवा में भी पतंगबाजी पूरी तरह घुली हुई है। यहां वर्षभर गुड्डïी लड़ाने की प्रतियोगिता और मैच होते रहते हैं। यही वजह है कि यहां पतंग और मांझे का बड़ा व्यापार होता है। गुरुवार को इसकी अलग ही छटा दिखी। पौ फटने के साथ कुहासे की चादर फैली हुई थी। इसके बावजूद पतंगबाजों का जोश देखते बन रहा था। पतंग में कन्ना साधने और ढील देने का दौर शुरू हो गया। दिन चढऩे के साथ रसीक बढ़ते गये और गानों की गूंज भी बढ़ गई। उल्लास और उमंग के बीच बच्चों के साथ बड़े भी उन्हीं की उम्र में ढल गये। खूब आनंद लिया और बच्चों को पतंगबाजी भी सिखाई। छोटे बच्चों को गुब्बारे का सहारा था। इस बीच घरों में त्योहारी माहौल रहा। नाश्ते में चूड़ा-मटर, गाजर का हलवा, तिलकुट और दूसरे प्रहर खिचड़ी के साथ अन्य व्यंजनों का लोगों ने सभी के साथ लुत्फ उठाया। कॉफी और चाय का दौर पूरे दिन चला। परिवार, रिश्तेदार, मित्र सभी डटे हुए थे। छत पर ही पूरा दिन कटा। सायंकाल अंधेरा होने के बावजूद भक्काटे और फिल्मी गीतों की गूंज होती रही।
सोशल मीडिया रंग में रंगा
पतंगबाजी, गंगा स्नान और दर्शन-पूजन से लेकर व्यंजनों की तस्वीरें और वीडियो लोगों ने जमकर सोशल मीडिया पर शेयर किये। हर त्योहार की तरह साइबर संसार मकर संक्रांति के रंग में रंगा रहा। फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, ट्वीटर सहित अन्य मीडिया प्लेटफार्म पर संक्रांति के पोस्ट भेजे और लाइक किये गये। इस पर लोगों ने कमेंट भी किये और सात समंदर पार तक लोगों ने काशी के इस प्रमुख रंग को लाइव भी देखा।
प्रतिबंध के बावजूद चीनी मंझा बिका
पुलिस-प्रशासन के लाख रोक और प्रतिबंध और लोगों में जागरुकता के बावजूद मकर संक्रांति पर चाइनीज मंझा शहर से लेकर गांव तक जमकर बिका। इसकी जद में आये दर्जनों लोग त्योहार के दिन चोटिल हो गये और अपनी मरहम-पट्टïी कराई। हल्की चोटें कई लोगों को आई। इसके बावजूद चाइनीज मंझा का प्रयोग करने वालों ने इसकी परवाह नहीं की। सायंकाल तक कई वाहन सवार मंझे में उलझे और इसे सुलझाकर निकलते रहे।