मुगलसराय। इस बार 2022 मुगलसराय विधानसभा का होने वाला चुनाव काफी रोचक है। सभी पार्टी के प्रत्याशी अपने-अपने स्तर से अपना प्रचार प्रसार कर मतदाताओं को रिझाने का काम कर रहे हैं। अब कौन जीतता है और कौन हारता है और किसके सिर पर विधायक का सेहरा बंधेगा यह मतदाता ही 7 मार्च को होने वाले चुनाव में तय करेंगे। कांग्रेस, बसपा, आम आदमी व एआईएमआईएम पार्टी के प्रत्याशियों का चेहरा पहले ही साफ हो गया था लेकिन लोगों में टिकट को लेकर संशय बना हुआ था जिनके नामों की घोषणा कर प्रत्याशियों के टिकट पर पार्टी ने मुहर लगा दिया। वही भाजपा ने अपना समीकरण बैठाते हुए काफी विलम्ब से सीटिंग विधायक साधना सिंह का टिकट काटकर रमेश जायसवाल को टिकट दे दिया। जिसके टिकट फाइनल होने के बाद लोगों की निगाहे सपा प्रत्याशी पर टिकी रही। हालांकि सबसे अंत में नामांकन तिथि के एक दिन पूर्व शाम को सपा ने भी अपने प्रत्याशी की घोषणा सयुस के जिलाध्यक्ष चन्द्रशेखर यादव को देकर किया। जबकि इसके पूर्व लोग अपने.अपने स्तर से पूर्व सांसद रामकिशुन यादव, पूर्व विधायक बब्बन सिंह चौहान, राजकुमार जायसवाल व अन्य को टिकट मिलने का कयास लगा रहे थे। जिनके सारे अटकलों को पार्टी ने साफ कर दिया। भाजपा द्वारा रमेश जायसवाल को टिकट दिये जाने के बाद जहां साधना सिंह के समर्थक नाराज हो गये हैं वही सपा से चन्द्रशेखर यादव को टिकट मिलने के बाद पूर्व सांसद के समर्थक भी नाराज दिखे। सांसद द्वारा नामांकन करने की भी बात सोशल मीडिया पर चलती रही। हालांकि नामांकन के अंतिम दिन पूर्व सांसद ने स्पष्ट कर दिया कि कोई नाराजगी नहीं है पार्टी ने जो निर्णय लिया है हम उसका स्वागत करते हैं। इस बाबत लोगों का कहना है कि रामकिशुन के नाराजगी का असर पार्टी प्रत्याशी के वोट पर पड़ेगा। वही अन्य का कहना है कि रामकिशुन के समर्थन से समर्थकों का मनोबल बढ़ गया है जो सपा प्रत्याशी की लड़ाई कमजोर पड़ रही थी अब वह अस्तित्व में आ गयी है और अच्छी लड़ाई लड़ेगी। वही अन्य का कहना है कि भाजपा को सभी वर्गो का वोट मिलता है जबकि सपा का बेस वोट यादव व मुस्लिम है जबकि बसपा का दलित व मुस्लिम है। इस बार बसपा, आम आदमी पार्टी व एआईएमआईएम तीनों पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है। ऐसे में मुस्लिम समाज का वोट कई भागों में बंटने से सपा को नुकसान होगा। लेकिन भाजपा भी अपने आप को मजबूत मत समझे क्योकि कांग्रेस के छब्बू पटेल भी काफी दमदारी से लड़ रहे हैं जो भाजपा का ही नुकसान करेंगे। अन्य भी कुछ मुद्दों को लेकर नाराज हैं। बसपा को भी कम में आकना गलत होगा। क्योंकि उसके भी मजबूत वोटर हैं। आम आदमी पार्टी भी दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर मतदाताओं को रिझाने काम किया है। वह भी अपनी लड़ाई मजबूती से लड़ रही है। एआईएमआईएम को भी वोट मिलेगा। लोगों का कहना है कि वर्तमान सरकार में मुस्लिम का उपेक्षा होने से मुस्लिम अपने समाज के हक की लड़ाई लडऩे वाले ओवैसी पार्टी को वोट दे देंगे। अन्य पार्टियोंं के प्रत्याशी भी वोटरों को रिझाने में लगे हैं। युवा भी इस बार महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दों से नाराज है। लड़ाई सभी अपना-अपना समीकरण बैठा कर लड़ रहे हैं। अब देखना है कि मतदाता किसके भाग्य का फैसला 7 मार्च को करते है। वैसे तीन चरणों में हुए मतदान के बाबत जो निष्कर्ष निकलकर आ रहे हैं उसका भी असर पूर्वाचल में होने वाले मतदान पर पड़ सकता है। रमेश यादव
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