चंदौली

चंदौली। झाड़ झंखाड़ सिल्टो से पटी चंदौली की नहरें


चंदौली। धान के कटोरे के रूप में प्रदेश में विख्यात जनपद चंदौली के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित नहरों की सफाई समय से न होने पर धान की खेती को लेकर किसान चिंतित हैं। दशकों पहले जनपद चंदौली प्रदेश में धान के कटोरे के रूप में विख्यात नहीं था लेकिन चंदौली के विश्वकर्मा कहे जाने वाले पं० कमलापति त्रिपाठी ने इसे कर दिखाया उन्होने जनपद में नहरों का जाल बिछाने के साथ ही नहरों से किसानों को समय से पानी मिले इसके लिए उन्होने नरायनपुर में विशाल लिफ्ट पम्प कैनाल की स्थापना भी कराया। जानकारी के अनुसार जनपद में लगभग एक लाख सत्ताइस हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। जनपद में लगभग ११३५ किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली मुख्य तीन नहरों के अलावा ३५७ राजवाहों का जाल बिछा हुआ है जिसमें चन्द्रप्रभा, मूसाखांड़, और लघु डाल नहर सिंचाई प्रखण्ड से संबध्ंिात नहरें हैं। इसके अलावा ३०० से अधिक नलकूपों का होना बताया जाता है। इस तरह जनपद में नहरों काजाल बिछा होने के बाद भी यदि किसान सिंचाई के लिए चिंतित हैं तो यह विडम्बना ही है। नहरों की साफ सफाई नवंबर व दिसम्बर माह में हो जाना चाहिए लेकिन यदि जनपद भर के नहरों की हालत को देखा जाय तो नहरें झाड़ झंखाड़ से पटी होने के साथ ही सिल्टों से भरी हुई है जिससे किसानों को टेल तक पानी पहुंचना मुश्किल है। किसानों का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण अनेकों जगह नहरें छतिग्रस्त हैं। इन नहरों और नलकूपों की मरम्मत के लिए शासन की ओर से प्रतिवर्ष बजट पास होता है। बावजूद इसके नलकूपों व नहरों की दशा दयनीय है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। किसानों का कहना है कि जनप्रतिनिधि व विभाग के अधिकारी यदि खानापूर्ति न कर शासन से मिले धन का सदुपयोग करें तो जनपद के नहरों वनलकूपों की स्थिति सुधारी जा सकती है। यदि राजनीत की बात की जाये तो कोई भी जनप्रतिनिधि जब किसानों के बीच पहुंचता है तो वह माइक संभालते ही किसानों को अन्नदाता के लकब से नवाजते हुए किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहता है। यदि वह धरातल पर इसे लेकर चिंतित दिखे तो निश्चित ही किसान खुशहाल दिखेंगे।