चंदौली

चंदौली। मकर संक्रांति पर हजारों ने लगायी गंगा में डूबकी


चहनियां। मकर संक्रान्ती के पावन पर्व पर शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पश्चिम वाहीनी मां गंगा के पावन तट बलुआ सहित टांडाकला, महुअर, तिरगांवा आदि गंगा घाटों पर गोते लगाकर दान पुण्य किया। कर्मकाण्डी ब्राह्मणों व ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार इस वर्ष शनिवार की देर शाम को सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे है जो रविवार की देर शाम तक मकर रेखा में संक्रमण करेंगे। जिसके कारण रविवार को मकर संक्रान्ति मनाया जाना चाहिए। किन्तु कुछ लोग तिथियों के हेरफेर व प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पडऩे वाले मकर संक्रान्ति को मानते हुए शनिवार को ही गंगा तटों पर पहुंचकर संक्रान्ती स्नान करते हुए दान आदि कर पर्व धूमधाम से मनाया। मान्यता के अनुसार रविवार हो जाने के कारण ब्राह्मण पुरोहित सहित अन्य कोई भी दान नही लेता है। जिससे श्रद्धालुओं ने शनिवार की प्रभात बेला में हजारों की संख्या में मां गंगा के तट बलुआ सहित महुअर, टांडाकला, कैली, कुरहना, रौना, तिरगावां, बडग़ांवा, निधौरा, सहेपुर आदि घाटों पर पहुंच कर आस्था के गोते लगाकर पूजा पाठ कर भिक्षुओं, पुरोहितों व ब्राम्हणों को यथा शक्ति दान दक्षिणा दिया। वहीं मकर संक्रान्ति के पर्व में मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा घाटों पर सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किये गये थे। गोता खोरो व लाईट की व्यवस्था की गयी थी। पुलिस पूरे क्षेत्र में चक्रमण करते नजर आयी। बलुआ इंस्पेक्टर विनय प्रकाश सिंह सुरक्षा कमान अपने हाथे में लेकर स्नानार्थियों की सुरक्षा करने में जुटे रहे। जैसे.जैसे सूर्य उदयीमान होने लगे वैसे.वैसे घाटों पर भीड़ भाड़ बढऩे लगी और देखते ही देखते भीड़ इस कदर हो गयी लोग चीटी की चाल चलने लगे। वही ग्रामीण व कस्बा क्षेत्रों में बच्चों ने जमकर पतंगबाजी का लुफ्त उठाया और साथ ही गुड़ तील की भी जमकर खरदारी हुई। पर्व को देखते हुए देवालयों में भी भारी भीड़ भाड़ देखी गयी। गौरतलब है कि मकर संक्रांति हर वर्ष १४ जनवरी को मनायी जाती थी। लेकिन दो वर्षो से कोई १४ जनवरी को मना रहा है तो कोई १५ जनवरी को। इस बार भी वही स्थिति बनी हुई है। जिसके असमंजस्य में कुछ लोग शनिवार को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया।