नई दिल्ली। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी के एक निलंबित कार्यकर्ता के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए मानहानि का मामला दायर किया है। इसकी जानकारी अधिकारियों ने दी है।
सूत्रों का कहना है कि कल चेन्नई की एक अदालत में राज्यपाल आरएन रवि ने डीएमके कार्यकर्ता शिवाजी कृष्णमूर्ति के खिलाफ मामला दायर किया था।
शिवाजी कृष्णमूर्ति ने इस महीने की शुरुआत में राज्य विधानसभा में सरकार की ओर से दिए जाने वाले भाषण के आखिरी हिस्से को छोड़कर राज्यपाल के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी की थी।
राज्यपाल रवि के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए, कृष्णमूर्ति ने कहा था कि अगर वह अंबेडकर का नाम नहीं ले सकते हैं, तो उन्हें कश्मीर चले जाना चाहिए जहां चरमपंथियों द्वारा उन्हें गोली मार दी जाएगी।
शिवाजी कृष्णमूर्ति ने एक पार्टी सभा को संबोधित करते हुए कहा था, क्या आपने संविधान के नाम पर शपथ नहीं ली थी? क्या मेरे दादा अम्बेडकर ने इसे नहीं लिखा था? यदि आप उसका नाम नहीं लेंगे, तो आप कश्मीर चले जाइए। हम खुद एक चरमपंथी भेजेंगे।
विवाद से खुद को दूर करते हुए DMK ने पिछले हफ्ते उन्हें पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन करने और पार्टी की बदनामी करने के आरोप में निलंबित कर दिया था।
वहीं, सत्तारूढ़ दल ने उन पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। मामला तब बढ़ा जब 9 जनवरी को राज्यपाल विधानसभा में सरकार द्वारा अनुमोदित एक आधिकारिक भाषण पढ़ते हुए ऑफ-स्क्रिप्ट हो गए थे।
राज्यपाल ने अभिभाषण के उन हिस्सों को छोड़ दिया, जिनमें धर्मनिरपेक्षता का संदर्भ था और पेरियार, बीआर अंबेडकर, के कामराज, सीएन अन्नादुरई और करुणानिधि जैसे नेताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कथित तौर पर ‘द्रविड़ियन मॉडल’ के संदर्भ को भी नहीं पढ़ा जिसे DMK बढ़ावा देता है।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा सदस्यों को वितरित ट्रांसक्रिप्ट को ही रिकॉर्ड में लेने का प्रस्ताव पेश करने के बाद आरएन रवि राष्ट्रगान का इंतजार किए बिना ही आवेश में बाहर चले गए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल की कार्रवाई “विधानसभा की परंपराओं के खिलाफ” थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप करने और राज्यपाल रवि को संविधान का पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। कांग्रेस जैसे डीएमके के सहयोगी दलों ने भी राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग की है।