निधन पर इतिहासकारों ने भी जताया शोक
बीबी लाल 101 साल के थे। उन्होंने पुरातत्वविदों की 4 पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है। उनके निधन की जानकारी मिलने पर पुरातत्वविदों के साथ-साथ इतिहासकारों ने भी शोक जताया है।
मिला था पद्म विभूषण सम्मान
गौरतलब है कि एएसआइ के पूर्व महानिदेशक और पद्म विभूषण से सम्मानित बीबी लाल को सबसे ज्यादा चर्चा अयोध्या की बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे की नींव में मंदिर मौजूद होने की खोज के लिए मिली थी। इसके लिए वह हमेशा-हमेशा इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं।
झांसी के रहने वाले थी बीबी लाल
मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 1921 में उत्तर प्रदेश के झांसी में जन्मे ब्रज बासी लाल यानी बीबी लाल को देश के नामी इतिहासकार थे। वर्ष 2000 में बीबी लाल को पद्म भूषण से सम्मान किया गया था।।
बीबी लाल ने हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिशुपालगढ़ (उड़ीसा), पुराण किला (दिल्ली), कालीबंगन (राजस्थान) सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खदाई कर इतिहास की बहुत सारी परत दुनिया के सामने खोली हैं।
बीबी लाल के नाम पर दर्ज हैं कई शोध
प्रोफेसर बीबी लाल ने 1975-76 के बाद से रामायण से जुड़े अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रृंगवेरपुरा, नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की खोदाई कर अहम तथ्य दुनिया के सामने रखे। बीबी लाल के नाम पर 150 से अधिक शोध लेख दर्ज हैं।
बीबी लाल की किताब ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु: साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ को लेकर खासी बहस हुई थी। इसमें विवादित ढांचे के नीचे मंदिर होने की बात कही गई थी।
यह भी जानें
- तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने उनके घर जाकर उनका 100वां जन्मदिन मनाया था।
- प्रो. बीबी लाल द्वारा 1953-54 और 1969-1973 में उत्खनन के दौरान टेराकोटा खिलौने और चित्रित कटोरे मिले थे। जिनका संबंध 1200 से 800 ईसा पूर्व तक का माना गया था।