अरविंद जयतिलक
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेनके प्रधान मंत्री बोरिस जानसनने वर्चुअल शिखर वार्ताके दौरान स्वास्थ्य, शिक्षामें सहयोगके साथ मौजूदा द्विपक्षीय कारोबारको दोगुना करने और अंतरराष्ट्रीय मंचोंपर तालमेल बढ़ानेपर सहमति जतायी है। कोविड महामारीमें भारतकी त्वरित सहायता करनेवाले ब्रिटेनके प्रधान मंत्रीने भरोसा दिया है कि भारतके पेशेवरोंके लिए उनका दरवाजा अब पहलेसे ज्यादा खुलेगा। उन्होंने अगले दो वर्षोंमें ३००० प्रशिक्षित भारतीयोंको रोजगार देनेकी बात कही है। शिखर वार्ताके दौरान दोनों देशोंके बीच नौ अहम समझौते हुए हैं जिससे दोनों देशोंके आर्थिक कारोबारका नये क्षितिजपर पहुंचना तय है। इन समझौतोंमें एक महत्वपूर्ण समझौता मुक्त व्यापार समझौता है जिसे लेकर दोनों देश बेहद उत्सुक हैं। इस मसलेपर दोनों देशोंके उद्योग और वाणिज्य मंत्रालयोंके प्रतिनिधि बातचीत कर आगेकी राह तय करेंगे। उल्लेखनीय है कि गत जनवरीमें ब्रिटेनके दक्षिण एशिया मामलोंके मंत्री लॉर्ड तारिक अहमदने कहा था कि भविष्यमें होनेवाले मुक्त व्यापार समझौता भारत और ब्रिटेनकी आर्थिक कारोबारके लिए अहम होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य मुक्त व्यापार समझौताको मूर्तरूप देना है। गौरतलब है कि मुक्त व्यापार करारके तहत व्यापारमें दो भागीदार देश आपसी व्यापारवाले उत्पादोंपर आयात शुल्कमें अधिकतम कटौती करते हैं।
चूंकि भारतने हमेशासे ब्रिटेनको यूरोपीय संघके देशोंके साथ व्यापारके मामलेमें एक ‘मुख्य द्वारÓ के रूपमें देखा है ऐसेमें मुक्त व्यापार समझौता न केवल ब्रिटेन, बल्कि भारतके लिए भी फायदेका सौदा होगा। एक अन्य दूसरा समझौता माइग्रेशन और मोबिलिटी पार्टनरशिपसे संबंधित है जो भारतके प्रशिक्षित लोगोंको ब्रिटेन जानेकी राहको सुगम करेगा। बदलते वैश्विक परिदृश्यमें दोनों प्रधान मंत्रियोंने आतंकवादसे निबटने, हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें सहयोग बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदमें भारतकी दावेदारीका समर्थन, पर्यावरण, रक्षा उपकरणों एवं अत्याधुनिक हथियारोंका साझा उत्पादन तथा अफगानिस्तानके हालात जैसे अन्य कई मसलोंपर गंभीरतासे चर्चा की। प्रधान मंत्री मोदीने भारतमें आर्थिक अपराध कर ब्रिटेनमें छिपे नीरव मोदी और विजय माल्याके प्रत्यर्पणका भी मसला उठाया। अच्छी बात है कि दोनों देशोंके बीच आर्थिक कारोबार बढ़ानेके संकल्पके बीच भारतकी बीस भारतीय कम्पनियों समेत सबसे बड़ी वैक्सीन बनानेवाली भारतीय कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडियाने ब्रिटेनमें २४०० करोड़ रुपयेका निवेश करनेका एलान किया। इसके तहत वह ब्रिटेनमें अपना एक नया बिक्री कार्यालय खोलेगी। नि:संदेह इस कारोबारी पहलसे दोनों देशोंके आर्थिक भागीदारीको नयी ऊंचाई मिलेगी और बड़े पैमानेपर रोजगार सृजित होगा। उल्लेखनीय है कि भारत दुनियाका अबतकका सबसे बड़ा बाजार है। आनेवाले समयमें भारतीय अर्थव्यवस्थाका डंका बजनेवाला है। रिपोर्टके मुताबिक भारत वर्ष २०२५ तक ब्रिटेनको पछाड़कर फिर दुनियाकी पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायगा।
आर्थिक विशेषज्ञोंका कहना है कि वर्ष २०३० तक भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। अर्थव्यवस्थाके आकारमें भारत २०२५ में ब्रिटेनसे, २०२७ में जर्मनीसे और २०३० में जापानसे आगे निकल जायगा। संभवत: यहीं वजह है कि ब्रिटेन भारतके साथ टे्रड डीलको लेकर बेहद गंभीर है। वर्चुअल वार्तासे पहले ब्रिटिश पीएम जानसनने भारतमें एक अरब पाउंड यानी दस हजार करोड़ रुपये निवेश करनेका ऐलान किया। उल्लेखनीय है कि दोनों देशोंके मध्य व्यापार एवं पूंजी निवेशमें तीव्रता आयी है। जहांतक द्विपक्षीय व्यापारका सवाल है तो ब्रिटेन भारतका विश्वमें दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश बन चुका है। गौरतलब है कि दोनों देशोंका द्विपक्षीय व्यापार जो २०१८-१९ में १६.७ अरब डालर, २०१९-२० में १५.५ अरब डालर था वह अब बढ़कर २३ अरब डालर यानी २.३५ लाख करोड़ रुपयेके पार पहुंच चुका है। इससे दोनों देशोंके तकरीबन पांच लाख लोगोंको रोजगार मिलता है। ब्रिटेनमें लगभग ८०० से अधिक भारतीय कंपनियां हैं जो आईटी क्षेत्रमें अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। इस संदर्भमें टाटा इंग्लैंडमें नौकरियां उपलब्ध करानेवाली सबसे बड़ी भारतीय कंपनी बन चुकी है।
भारतीय कंपनियोंका विदेशोंमें कुल निवेश ८० मिलियन अमेरिकी डालरके पार पहुंच गया है। दूसरी ओर ब्रिटेनसे भारतके बीपीओ क्षेत्रमें आउटसोर्सिंगका काम भी बहुत ज्यादा आ रहा है। एक ओर यह ब्रिटिश कंपनियोंकी लागत कम करता है वहीं लाखों शिक्षित भारतीयोंके लिए रोजगारका अवसर उपलब्ध कराता है। ब्रिटेनमें बड़ी तादादमें अनिवासी भारतीयोंकी मौजूदगी है। यह संख्या लगभग दो मिलियन है। भारतीय लोग ब्रिटेनकी आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्थाको गति दे रहे हैं। पिछले दो दशकोंमें आर्थिक सहयोगको बढ़ानेके लिए दोनों देशोंने कई तरहकी पहल की है। नतीजा ब्रिटेनमें परियोजनाओंकी संख्याके मामलेमें भारत दूसरे सबसे बड़े निवेशकर्ता देशके रूपमें उभरा है। दूसरी ओर ब्रिटेन भी वर्तमान भारतमें कुल पूंजीनिवेश करनेवाले देशोंमें बढ़त बनाये हुए है। आयात-निर्यातपर नजर डालें तो भारत मुख्य रूपसे ब्रिटेनको तैयार माल एवं कृषि एवं इससे संबंधित उत्पादोंका निर्यात करता है। इसके अतिरिक्त वह अन्य सामान मसलन तैयार वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, चमड़ेके वस्त्र एवं वस्तुएं, रसायन, सोनेके आभूषण, जूते-चप्पल, समुद्री उत्पाद, चावल, खेलका सामान, चाय, ग्रेनाइट, जूट, दवाईयां इत्यादिका भी निर्यात करता है। जहांतक आयातका सवाल है तो भारत इंग्लैंडसे मुख्यत: पूंजीगत सामान, निर्यात संबंधी वस्तुएं, कच्चा माल एवं इससे संबंधित अन्य सामानोंका आयात करता है। दोनों देश वैश्विक निर्धनताकी समाप्ति, वैश्विक संघटनोंमें सुधार और आतंकवादके खात्मेके लिए परस्पर मिलकर काम कर रहे हैं। भारतमें आतंकवादको बढ़ावा देनेके मामलेमें पाकिस्तान ब्रिटेनके निशानेपर है। पाकिस्तानपर भारतकी एयर स्ट्राइकका ब्रिटेन द्वारा समर्थन कर चुका है। अच्छी बात है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र-सुरक्षा परिषदमें सुधारोंपर सहमत हैं, जिससे कि २१वीं शताब्दीकी वास्तविकताओंको अधिक प्रभावी ढंगसे प्रतिबिम्बित किया जा सके।
इसके अलावा दोनों देश अफगानिस्तानमें स्थायित्व लाने और इसरायल-फिलीस्तीन संघर्ष जैसे मसलोंके समाधानमें भी एक जैसे विचार रखते हैं। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदीके प्रधान मंत्री बननेके बाद दोनों देशोंके बीच संबंधोंमें प्रगाढ़ता बढ़ी है। प्रधान मंत्री बननेके बाद प्रधान मंत्री मोदीने २०१५ में ब्रिटेनकी यात्रा कर दोनों देशोंके संबंधोंको एक नयी ऊंचाई दी। तब उनकी तीन दिवसीय ब्रिटेन यात्राके दौरान दोनों देशोंके बीच नौ अरब डालर मूल्यके सौदे हुए। इसमें असैन्य परमाणु समझौतेपर हस्ताक्षरके अलावा वित्त, रक्षा, परमाणु उर्जा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य एवं साइबर सुरक्षापर भी सहमति बनी। तब दोनों देशोंने रेलवे रुपया बांड जारी करनेके अलावा आतंकवादके मसलेपर समान सहमति जतायी। साथ ही इस बातपर भी जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र संघ आतंकवादकी परिभाषा तय करे। तब इंडिया-यूके सीईओ फोरममें अपनी सरकारकी ओरसे उठाये गये आर्थिक सुधारोंका हवाला देते हुए प्रधान मंत्री मोदीने ब्रिटिश कंपनियोंको भारतके तमाम सेक्टरोंमें पैसा लगानेके लिए आह्वïान किया। अच्छी बात है कि दोनों देश भरोसेकी कसौटीपर खरा हैं और कोविड-१९ के बुरे दौरमें एक-दूसरेका हाथ मजबूतीसे पकड़े हैं।