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नीतीश सरकार पर फिर बरसे प्रशांत किशोर,


सिकरहना,  । जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने गुरुवार को यहां छपरा में जहरीली शराब से तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत पर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण यह घटना हुई है। सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वे ढ़ाका प्रखंड के करमावा स्थित पावरहाउस के मैदान में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी के सात-आठ साल बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है और लोग इसका सेवन करने से मर रहे हैं। ऐसे में सरकार को यह बताना चाहिए कि आखिर राज्य में किस प्रकार की शराबबंदी है। नीतीश सरकार की शराबबंदी सिर्फ अफसरों और लोगों को शपथ दिलाने तक सीमित होकर रह गई है। विधानसभा सत्र के दौरान हंगामा करने वाले भाजपा नेताओं पर पीके ने हमला बोला।

उन्होंने कहा कि आप भी नीतीश सरकार में बराबर के सहभागी थे। उस समय शराबबंदी पर आपने क्या किया। प्रशांत किशोर ने अपने हमले के लपेटे में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी लिया और कहा कि जब वे विपक्ष में थे तो शराबबंदी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे और सरकार में आने के बाद उसका बचाव कर रहे हैं। इस तरह की घटनाए पहले भी होती रही हैं। इसके बावजूद सरकार ने कभी इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। अगर सरकार गंभीर रहती और उस दिशा में काम करती तो इतने लोगों की जान नहीं जाती।

बीते रोज तेजस्वी पर साधा था निशाना

प्रशांत किशोर ने बुधवार को ही बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर निशाना साधा था। उन्होंने तेजस्वी यादव की योग्यता पर सवाल खड़े किए थे। पीके ने हमला बोलते हुए कहा था कि यहां पढ़े-लिखे लोग रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और बिहार में दसवीं पास नहीं करने वाले, नेताओं के बच्चे मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। दरअसल, पीके ने यह बात उस संदर्भ में कही थी, जिसमें नीतीश ने तेजस्वी को अपना राजनीतिक वारिस होने के संकेत दिया था।

प्रशांत किशोर ने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट लिखी थी। इसमें उन्होंने नौकरी के लिए प्रदर्शन कर रहे टीईटी और सीटीईटी पास उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज किए जाने का जिक्र किया था। इसके साथ ही उन्होंने महागठबंधन पर हमला बोलते हुए नीतीश सरकार को 10 लाख नौकरी देने का वादा भी याद दिलाया। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि बिहार में दसवीं पास नहीं करने वाले नेताओं के बच्चे CM बनने का सपना देख रहे हैं और सामान्य परिवार के पढ़े-लिखे लोग नौकरी और रोजगार के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं।