आवश्यकता वाले टोलों में मासांत तक होगा पदस्थापन
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में वर्षों से एक ही जगह जमे शिक्षा सेवक बदले जायेंगे। यह निर्णय शिक्षा विभाग के जन शिक्षा निदेशालय द्वारा मंगलवार को बुलायी गयी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (साक्षरता) एवं राज्य संसाधन समूह के सदस्यों की बैठक में लिया गया। इसकी अध्यक्षता शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चन्द्र झा, जो जन शिक्षा निदेशक भी हैं, ने की। बैठक में तय हुआ कि महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत कार्यरत शिक्षा सेवक और शिक्षा सेवक ( तालीमी मरकज़) इस माह के अंत तक आवश्यकता आधारित टोले में पदस्थापित किये जायेंगे।
महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना इन समुदायों के महिलाओं को साक्षर बनाने की राज्य संपोषित योजना है। यह योजना 26 जनवरी, 2013 से संचालित है। इस योजना के तहत 30 हजार शिक्षा सेवक और शिक्षा सेवक (तालिमी मरकज) के पद स्वीकृत हैं। इन स्वीकृत पदों के विरुद्ध फिलहाल 26 हजार 856 शिक्षा सेवक और शिक्षा सेवक (तालिमी मरकज) कार्यरत हैं। शिक्षा सेवक का कार्य अपने अदस्थापन वाले टोले के बच्चों को कोचिंग देना और उन्हें प्रारंभिक विद्यालयों की मुख्यधारा से जोडऩा है। साथ ही उस टोला की 15-45 आयुवर्ग की असाक्षर महिलाओं को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करना भी है।
बिहार राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम के सभागार में घंटों चली बैठक में फरवरी-मार्च 2022 का भौतिक प्रतिवेदन, गत 20 फरवरी को हुई बुनियादी साक्षरता परीक्षा की सॉफ्ट कॉपी, वित्तीय वर्ष 2021-22 में कार्यक्रम पर हुए व्यय का प्रतिवेदन, 2022-23 के लिए राशि की आवश्यकता का प्रतिवेदन, जिलों में लंबित कोर्ट केस, साक्षर भारत कार्यक्रम में उपलब्ध करायी गयी राशि की उपयोगिता का प्रतिवेदन, पढऩा-लिखना-अभियान से संबंधित रिपोर्ट और नवभारत साक्षरता कार्यक्रम पर विस्तृत चर्चा हुई तथा आवश्यक निर्देश दिये गये। बैठक में विशेष सचिव-सह जन शिक्षा निदेशक सतीश चन्द्र झा के साथ संयुक्त निदेशक सत्यनारायण प्रसाद, उप निदेशक ध्रुव नारायण प्रसाद एवं सहायक निदेशक रमेशचंद्र भी थे।