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पटना में मिला मंकी पाक्‍स का संदिग्‍ध मरीज, बिहार में एहतियाती गाइडलाइन जारी


पटना, । Bihar Monkey Pox Alert: देश में दिल्ली व केरल में मंकी पाक्‍स (Monkey Pox Virus) के मरीजों के मिलने के बाद बिहार में भी एक संदिग्‍ध मरीज के मिलने से हड़कम्‍प मच गा है। इसके बाद स्‍वास्‍थ्‍ विभाग अलर्ट (Monky Pox Alert in Bihar) मोड में है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) ने इस संक्रमण को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसके पहले

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। मंकीपाक्स एक वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति में चेहरे, हथेलियों, पैरों, पीठ व पैर के तलवे में चकत्ते बन जाते हैं। बीमारी को लेकर सावधानी बेदह जरूरी है। इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डाक्‍टर की सलाह लें।

पटना सिटी में मिला संदिग्‍ध मरीज

मंकी पाक्‍स को लेकर बिहार से यह बड़ी खबर है। पटना के पटना सिटी इलाके में इसका एक संदिग्‍ध मरीज मिला है। मरीज व उसके संपर्क में आए लोगों के जांच सैंपल लेने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने टीम गठित कर दिया है।

चेचक की तरह का वायरल संक्रमण

मंकीपाक्स वायरस चेचक की तरह का एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। इसका पहला मामला साल 1970 में सामने आया था। यह संक्रमण मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के में होता रहा है। हालांकि, इस साल यह भारत के चार राज्‍यों में दस्‍तक दे चुका है।

क्‍या हैं मंकीपाक्स के लक्षण, जानिए

गाेपालगंज के डा. संदीप कुमार कहते हैं कि अगर आपको बुखार के साथ सिरदर्द व कमजोरी हो तो डाक्‍टर की सलाह जरूर लें। ये मंकीपाक्स के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।  हालांकि, समान्‍य  वायरल फीवर व अन्‍य बीमारियों में भी ऐसा  हाे सकता है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। सामन्‍यत: मंकीपाक्स वायरस के संक्रमण के लक्षण चेहरे पर दिखता है। संक्रमण 14 से 21 दिनों तक रहता है। आइए नजर डालते हैं इस संक्रमण के लक्षणों पर…

बार-बार का तेज बुखार।

पीठ एवं मांसपेशियों में दर्द।

थकान व सुस्ती।

त्वचा पर दानें व चकत्‍ते तथा खुजली होना।

चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस।

गला खराब होना व बार-बार खांसी आना।

कोई इलाज नहीं, लेकिन जोखिम कम

जान लीजिए कि मंकीपाक्स संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। हां, चेचक का टीका मंकीपाक्स का संक्रमण रोकने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी साबित हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ व फर को छूने से भी हो सकता है। मंकीपाक्‍स से बचाव ही एकमात्र उपाय है।

वायरस को लेकर बरतें सावधानी

बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से इस वायरस को लेकर सावधानी बरतने की अपील की है। अगर किसी व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना है। संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक आइसोलेट रहना है।  स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार ऐसा कोई संदिग्‍ध मामला दिखने पर इसकी सूचना स्वास्थ्य मुख्यालय को भेजी जाएगी। साथ ही बीते 21 दिनों के अंदर विदेश यात्रा से लौटने वालो पर भी नजर रखनी है। संदिग्‍ध मामला सामने आने पर पर ऐसे व्‍यक्ति का जांच सैंपल लेकर चेन्‍नई के एपेक्स लैब में भेजा जाना है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की सूची तैयार कर उन्‍हें आइसोलेशन में रखा जाना है। उनके जांच सैंपल भी लेने हैं।