पटना

विश्वविद्यालयों में होगी अतिथि शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति


11 माह पूरा करने वाले अतिथि शिक्षकों के कार्य निष्पादन का होगा मूल्यांकन

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के जिन पारंपरिक विश्वविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की 11 माह की सेवा पूरी हो चुकी है, वहां नये नियम के तहत उनकी सेवा नवीकृत होगी। 11 माह की सेवा पूरी करने वाले अतिथि शिक्षकों की सेवा नवीकृत करने की प्रक्रिया कई विश्वविद्यालयों ने शुरू कर दी है। विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत कॉलेजों में उन्हीं विषयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति होगी, जिसमें पूर्णकालिक शिक्षकों की संख्या शून्य अथवा अत्यल्प है और छात्र अधिक हैं।

विश्वविद्यालयों में 11 माह तक ही अतिथि शिक्षकों को सेवा में बनाये रखने का प्रावधान है। 11 माह की सेवा पूरी होने के बाद पुनः उनके कार्य निष्पादन मूल्यांकन के आधार पर अगले 11 माह के लिए उनकी सेवा नवीकृत करने का प्रावधान है। राज्य सरकार द्वारा किये गये नये प्रावधान के मुताबिक अतिथि या अंशकालिक शिक्षकों की नियुक्ति या 11 माह बाद उनके कार्य निष्पादन मूल्यांकन के आधार पर सेवा नवीकृत करने हर विश्वविद्यालय में एक समिति होगी। समिति के अध्यक्ष संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति होंगे। कुलपति द्वारा नामित एक संबंधित विषय के विषय विशेषज्ञ, संबंधित संकाय के संकायाध्यक्ष (जहां लागू हो), संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष तथा अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिला या दिव्यांग श्रेणी के एक शिक्षाविद सदस्य होंगे।

नये प्रावधान के मुताबिक अतिथि शिक्षकों को प्रति व्याख्यान 1500 रुपये प्रतिमाह अधिकतम 50 हजार रुपये दिये जाने हैं। यह प्रावधान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर राज्य में 13 अप्रैल, 2021 के प्रभाव से लागू है।

इस बीच 11 माह की सेवा पूरी करने वाले अतिथि शिक्षकों के कार्य निष्पादन के मूल्यांकन की प्रक्रिया कई विश्वविद्यालयों में शुरू हो गयी है, ताकि तय प्रावधानों के तहत उनकी सेवा नवीकृत की जा सके। तय प्रावधानों कसौटी पर खरे उतरने वाले अतिथि शिक्षकों की सेवा ही नवीकृत होगी।

उधर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से मिली खबर के मुताबिक विश्वविद्यालय ने अपने स्नातकोत्तर विभागों के विभागाध्यक्षों एवं अंगीभूत कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से 11 माह की सेवा पूरी करने वाले अतिथि शिक्षकों का ब्यौरा मांगा है, ताकि उनके कार्य निष्पादन मूल्यांकन के आधार पर पुनः 11 माह के लिए चयन समिति द्वारा सेवा नवीकृत किया जा सके। अपने निर्देश में विश्वविद्यालय ने साफ कहा है कि जिन विभागों में शिक्षकों की संख्या शून्य अथवा अत्यल्प है तथा छात्रों की संख्या अधिक है, उन्हीं विभागों में अतिथि शिक्षकों की पुनः नियुक्ति होगी। विश्वविद्यालय को अतिथि शिक्षकों का ब्यौरा देने के लिए उसके स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत कॉलेजों के पास पांच दिन के समय और रह गये हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 11 माह की सेवा पूरी करने वाले अतिथि शिक्षकों की संख्या तकरीबन पांच सौ है।

इधर, पटना विश्वविद्यालय में 11 माह की सेवा पूरी करने वाले अतिथि शिक्षकों की सेवा नवीकृत करने की प्रक्रिया फिलहाल शुरू नहीं हुई है। विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों ने बताया कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को चाहिये कि इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दे।

आपको बता दूं कि राज्य के पारंपरिक विश्वविद्यालयों में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एवं मुंगेर विश्वविद्यालय शामिल हैं।