पटना (विधि सं)। पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को पैक्स का सदस्य बनाये जाने के संबंध में बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी रूल्स, 1959 के रूल 7(4) को भारत के संविधान और कोआपरेटिव एक्ट के दायरे से बाहर अर्थात अल्ट्रा वायरस घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रूल 7(4) को रद्द कर दिया।
चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने लक्ष्मीकांत शर्मा व अन्य के मामलों पर सुनवाई करते उक्त आदेश को पारित किया। दरअसल, वर्ष 2008 में किये गए संशोधन के तहत रूल 7(4) के अनुसार किसी को पैक्स का सदस्य बनाने में बिलंब हो रहा है तो, उस व्यक्ति के द्वारा पैसा जमा करने और शपथ पत्र दाखिल करने के बाद सदस्य बनाया जा सकता था।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि कोर्ट का इस मामले में कहना था कि एक संवैधानिक आदेश को अनाधिकृत तौर से हटाया नहीं किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा दायरे में रहकर नियंत्रण या पर्यवेक्षण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में तो किसी से भी शपथ पत्र लेकर बगैर मैनेजिंग कमेटी गए या सुने ही पैक्स का सदस्य बनाया जा सकता है। कोर्ट का यह भी कहना था कि संशोधित नियम में अपील का भी प्रावधान नहीं किया गया है और कोई पीढि़त पक्ष बगैर किसी निवारण के नहीं रह सकता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का आगे यह भी कहना था कि उक्त संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी), 43(बी) और 243(जेड एल) तथा बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1935 की धारा 27(1), 32 ए(1)(एन) व (पी) का उल्लंघन है। संशोधन के जरिये सदस्य बनाने का अधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, कोऑपरेटिव सोसाइटी के असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव ऑफिसर को दिया गया था।