- शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र की भी होगी जांच
- 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली को काउंसलिंग की तिथि जल्द
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की होने वाली बहाली में चयनित अभ्यर्थियों की काउंसलिंग तो पहले हो जायेगी, लेकिन उनके शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच के बाद ही उन्हें नियुक्ति पत्र मिलेंगे।
प्रारंभिक विद्यालयों में तकरीबन 94 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा तय शिड्यूल के तहत नियोजन इकाइयों द्वारा मेधा सूची जारी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को शिक्षा विभाग की, की गयी समीक्षा बैठक में 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर गतिरोध की स्थिति समाप्त हो गयी है। इसके मद्देनजर माना जा रहा है कि काउंसलिंग की तिथि जल्द तय होगी।
इसके पूर्व तक पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थाओं द्वारा शिक्षकों की बहाली में काउंसलिंग एवं नियुक्ति पत्र देने की तिथि साथ-साथ होती थी। लेकिन, पटना उच्च न्यायालय द्वारा पंचायती राज एवं नगर निकाय संस्थाओं द्वारा नियुक्त शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की निगरानी जांच के आदेश के बाद पिछली बहाली में शिक्षक पद के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र तो दे दिये गये, लेकिन वेतनादि के भुगतान का आदेश उनके शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच के बाद ही करने का आदेश दिया गया।
इससे इतर शिक्षा विभाग ने अब यह मन मना लिया है कि नियोजन इकाइयों द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के बाद उनके तमाम शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच करा ली जाय। इसके तहत टीईटी-सीटीईटी उत्तीर्णता प्रमाणपत्र की भी जांच होगी। उसके बाद उन्हें नियुक्ति पत्र दिये जायेंगे। शिक्षा विभाग की यह कोशिश होगी कि काउंसलिंग करा चुके चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों के साथ ही टीईटी या सीटीईटी उत्तीर्णता प्रमाणपत्र की जांच जल्द से जल्द करायी जाय।
इस दिशा में शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही अब तक की तैयारियों से मिले संकेत के मुताबिक प्रमाणपत्रों की जांच के लिए विभाग द्वारा पोर्टल बनाये जा रहे हैं। उसी पोर्टल पर चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को अपने तमाम शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों के साथ ही टीईटी या सीटीईटी उत्तीर्णता प्रमाणपत्र अपलोड करने होंगे। इसके लिए समय-सीमा तय होगी। उसके बाद प्रमाणपत्रों की जांच होगी। यह सब तय समय-सीमा के तहत होगा। इससे प्रमाणपत्रों की जांच की प्रक्रिया तो जल्द पूरी होगी ही, इसमें पारदर्शिता भी आयेगी।