- सीरम इंस्टिट्यूट की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (covishield dose gap) की दोनों खुराकों के बीच के गैप को हाल ही में और बढ़ाया गया है, जिसपर कई सवाल भी उठे. अब ICMR की तरफ से इस पर बयान दिया गया है. उन्होंने इसके पीछे के कारण और कोवैक्सिन की खुराकों के गैप को नहीं बढ़ाने के पीछे की वजह भी बताई है.
कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज से बीच का गैप बढ़ाने के सवाल पर डॉ. बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा कि कोवैक्सिन की पहली डोज के बाद ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती, वो सेकंड डोज के बाद बनती है. जबकि कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर नई स्टडी में सामने आया कि पहली डोज के बाद ही अच्छी संख्या में एंटीबॉडी बन जाती है.
डॉक्टर भार्गव बोले – शोधकर्ताओं से बातचीत के बाद बढ़ाया गया खुराकों के बीच गैप
ICMR चीफ के मुताबिक, सभी आंकड़ो को देखकर यह फैसला लिया गया था. डॉक्टर भार्गव ने कहा कि गैप बढ़ाने से पहले वैक्सीन के इंवेंटर्स से भी चर्चा की गई थी. फिर तय किया गया कि कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज के बीज 12 हफ्ते का गैप हो सकता है. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच 4 हफ्ते का गैप हो सकता है. कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनिका कंपनी ने बनाया है. इसका उत्पादन भारत का सीरम इंस्टिट्यूट कर रहा है. वहीं कोवैक्सिन को IMCR ने भारत बायोटेक के साथ मिलकर बनाया है.
केंद्र सरकार ने गुरुवार को बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास इस समय कोविड-19 टीके की करीब दो करोड़ खुराक मौजूद हैं और 26 लाख अतिरिक्त खुराक अगले तीन दिन में मुहैया कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार की महामारी पर नियंत्रण और प्रबंधन की विस्तृत रणनीति में जांच, पहचान, इलाज और कोविड-19 अनुरूप व्यवहार के साथ-साथ टीकाकरण अभिन्न हिस्सा है.