अदालत ने राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। हर कोई मामले को टालने पर लगा है। पराली हर हाल में जलनी बंद हो।
वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
- मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर वकील अपराजिता सिंह ने सीनियर आईआईटी-कानपुर की एक स्टडी को पेश किया जो बताते हैं कि प्रदूषण के क्या स्रोत हैं।
- वकील अपराजिता ने कहा सीएक्यूएम ने रिपोर्ट दी है कि सबकुछ ठीक है। सीएक्यूएम ने रिपोर्ट दी है कि हम शून्य पराली जलाने की आशा में है… आज राज्यों के पास कोई बहाना नहीं है। अगर वो कहते हैं कि उनके पास पराली जलने को ट्रैक करने के लिए कोई एप है।
- इस पर जस्टिस कौल ने कहा, समाधान क्या है? दिल्ली को इस तरह घुटने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
- इस पर सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा, यह बहुत जरूरी वैधानिक बैकग्राउंड है जिसे बताना जरूरी है… पराली का जलना समस्या नहीं है। समस्या ये है कि यह कब बंद होगा और कितने देशों में पराली जलती है।
- जस्टिस कौल ने वकीलों से कहा आप देखिए कितने बच्चे दिल्ली में स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
- पंजाब से अटॉर्नी जनरल ने कहा, यह समस्या 50-20 दिनों की होती है। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, यह जरूर समय की समस्या है लेकिन इसे लेकर कोई गंभीरता मुझे नहीं दिखती। हमें इससे मतलब नहीं है कि आप कैसे करेंगे लेकिन हर हाल में इसे रोकना ही होगा। चाहे वह इंसेंटिव देकर करें या सख्ती बरतकर।
- इस पर पंजाब के एजी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि पंजाब इस मामले में विकासशील समाधान लाए। जस्टिस कौल ने कहा, पराली प्रदूषण का बड़ा कारक है… फिर उन्होंने पूछा दिल्ली सरकार का प्रतिनिधि कहां है… और दिल्ली सरकार राजधानी में आने वाले वाहनों का क्या कर रही है?
- पंजाब के एजी ने ये भी कहा कि हमें किसानों को एमएसपी देनी होगी ताकि वह अन्य फसलों को भी उगाएं। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, कुछ न कुछ तो जल्द करना ही होगा। वह आगे बोले, फसल का समय ही समस्या है… जब तक किसान दूसरी फसलों पर शिफ्ट नहीं होते… तब तक के लिए इस समस्या से निपटना ही होगा।
- जस्टिस कौल ने केंद्र से भी कहा कि आपको किसानों की मदद करनी होगी ताकि वह दूसरी फसलों पर शिफ्ट हो जाएं। जज आगे बोले, हम नहीं जानते आप अपने सभी अफसरों को लगाएं, हमें इस पर जरा भी धैर्य नहीं है। जज ने ये भी कहा कि आप जानते हैं कि अगर मैंने बुलडोजर शुरू कर दिया तो रुकने वाला नहीं हूं।
- सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि पहली बार हमारे पास पंजाब का वकील है और वह निष्पक्ष हैं। इस पर जस्टिस कौल ने सहमति जताई।
- अदालत ने कहा कि पराली के साथ ही ट्रैफिक भी दिल्ली के प्रदूषण की बहुत बड़ी वजह है और ऑड-ईवन से कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता।
- इसके बाद जस्टिस कौल ने पंजाब के एजी से कहा, आपको पराली जलने से रोकना ही होगा। आपके प्रशासन को ये करना होगा। इसके लिए स्थानीय एसएचओ जिम्मेदार होंगे… उन्हें आज से ही इस पर काम करना शुरू करना होगा।
- कोर्ट ने अपने आदेश में पंजाब के अटॉर्नी जनरल द्वारा सुझाए गए उपायों को रेखांकित करते हुए कहा-1- किसान पैसों की कमी के चलते पराली जलाते हैं। ऐसे में कोई ऐसा उपाय निकाला जाए जिससे किसान धान की जगह पर अन्य फसल लगाएं। इसके लिए केंद्र को उन्हें सब्सिडी भी देनी होगी।
2- सरकार को अन्य फसलों पर भी एमएसपी देनी चाहिए ताकि किसान प्रोत्साहित हों और धीरे-धीरे धान छोड़कर अन्य फसलें उगाएं।
- अदालत दिल्ली के बंद पड़े स्मॉग टावर पर भी चर्चा हुई। अदालत ने दिल्ली सरकार को सॉलिड कचरा खुले में न जले इसकी निगरानी करने को भी कहा। अंत में अदालत ने बुधवार को सभी स्टेक होल्डर्स की एक मीटिंग कल बुलाई और सभी को जुड़ने के लिए कहा है ताकि शुक्रवार तक स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके।
- फिर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी।
पटाखे जलाने और खरीद-बिक्री वाली याचिका पर हुई ये सुनवाई
- अदालत ने प्रदूषण कम करने के लिए राजस्थान सरकार को भी निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान को निर्देश दिए कि वह सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का पालन करें और त्योहार के समय पटाखे न जलाएं। अदालत ने कहा कि यह सबका फर्ज बनता है कि वह खासतौर से त्योहारों के समय प्रदूषण कम करने का प्रयास करे।
- पटाखों की बिक्री-खरीद और इस्तेमाल वाली याचिका पर अदालत में सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता ने कहा कि, यह राजस्थान को लेकर है। ऐसा लगता है कि पटाखे जलाने और इसकी खरीद-बिक्री पर रोक सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए है, जबकि यह पूरे देश के लिए है।
- याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि हम कुछ नया नहीं मांग रहे हैं। हम सिर्फ ये चाहते हैं कि पुराने आदेश का पालन हो।
- इस पर राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वकील ने कहा, राजस्थान में प्रदूषण में मामूली वृद्धि हुई है। इस पर जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि इन दिनों बच्चे नहीं बड़े ज्यादा पटाखे जलाते हैं। जस्टिस सुंद्रेश ने कहा कि यह गलत धारणा है कि प्रदूषण रोकना सिर्फ अदालत की जिम्मेदारी है।
- याचिकाकर्ता ने एक समय निर्धारित करने और स्कूल-अस्पताल जैसी जगहों से दूर पटाखे जलाने के निर्देश देने की मांग की।
- अदालत ने कहा, इसके लिए कोई अलग निर्देश देने की जरूरत नहीं है। हमारे पुराने आदेशों का ही पालन हो। सुनवाई के अंत में जस्टिस बोपन्ना ने सबको हैप्पी और सुरक्षित दीपावली कहा।