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बंगाल चुनाव: ISF ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट, अलग-अलग धर्मों, जाति के लोगों को मैदान में उतारा


फरफुरा शरीफ के प्रभावशाली मौलवी अब्बास सिद्दकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में विभिन्न धर्मों और जाति के उम्मीदवारों को खड़ा किया है. हालांकि बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नवगठित सियासी दल अल्पसंख्यक कार्ड का सहारा ले रहा है.

गौरतलब है कि वाम दल तथा कांग्रेस के साथ गठबंधन में सीटों की साझेदारी के तहत आईएसएफ ने 21 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है जिनमें से 10 या तो हिंदू हैं या फिर आदिवासी समुदायों से ताल्लुक रखते हैं तथा अन्य उम्मीदवार मुस्लिम हैं.

पार्टी दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करती है

आईएसएफ के अध्यक्ष सिमुल सोरेन ने कहा कि पार्टी दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है, चाहे वे लोग किसी भी धार्मिक मान्यता में विश्वास रखते हों. बीजेपी और तृणमूल ने आरोप लगाया था कि हुगली जिले के फरफुरा शरीफ में मुस्लिम धर्मस्थल में मौलवी 34 वर्षीय सिद्दकी के साथ गठबंधन करके वाम दल और कांग्रेस ने अपनी धर्मनिरपेक्षता को त्याग दिया है. हालांकि माकपा के एक नेता ने इस बात से इनकार किया कि आईएसएफ एक सांप्रदायिक दल है. उन्होंने कहा, ”सिद्दकी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने समाज के पिछड़े एवं वंचित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है.”

राज्य के मतदाताओं में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम

उल्लेखनीय है कि राज्य के मतदाताओं में से लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं.वहीं सिद्दकी ने इस आरोप से इनकार किया कि उनकी पार्टी चुनावी मैदान में तृणमूल के मुस्लिम आधार में सेंध लगाने के लिए उतरी है, उन्होंने पीटीआई-भाषा को हाल में दिए एक साक्षात्कार में कहा, ”बीते दस वर्षों में, तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने मुस्लिम और दलितों को मूर्ख बनाया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके लिए कुछ नहीं किया.” उन्होंने कहा, ”हम यहां केवल मुस्लिम मत पाने के लिए नहीं बल्कि पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों के मत पाने के लिए आए हैं.”