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- पिछले दो दिनों से झारखंड में बारिश नहीं होने से राहत लेकिन मूसलाधार बारिश के कारण बढ़ रहा है नदियों का जलस्तर
- जिलाधिकारी ने कहा सभी बांध सुरक्षित और हो रही है सतत निगरानी, आज घटेगा नदियों का जलस्तर
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बिहारशरीफ (आससे)। मॉनसून की सक्रियता बरकरार रहने के साथ ही रविवार को भी आसमान में बादल छाये रहे और रूक-रूक कर कभी हल्की तो कभी मध्यम दर्जे की बारिश हुई। बीते कल यानी शनिवार और शुक्रवार की रात हुई मूसलाधार बारिश से जिले के नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है। हालांकि जिले के सभी नदियों का तटबंध सुरक्षित है। बावजूद इसके बिंद के कुछ इलाके में तटबंध निर्माण में कटे कुछेक स्थानों पर से नदी का पानी खेतों में फैला है, लेकिन बाढ़ की स्थिति नहीं है।
हालांकि पिछले कई दिनों से हो रही बारिश से खेतों में पानी इस कदर जमा हो गया है कि कहीं-कहीं बाढ़ का दृश्य परिलक्षित हो रहा है। खेत जरूर डूबा है, लेकिन कहीं भी सघन आबादी प्रभावित नहीं हुआ है। मौसम विभाग पटना ने अगले 24 घंटे के पूर्वानुमान में मॉनसून के सक्रिय रहने के साथ ही हल्की से मध्यम दर्जा की बारिश और गर्जन के साथ वज्रपात की आशंका जतायी है। साथ ही लोगों को वज्रपात से सतर्क रहने का अपील जारी किया है। जिला पदाधिकारी के निर्देश के आलोक में जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता नालंदा के तटबंधों का निरीक्षण करने रविवार को नालंदा पहुंचे और अपने विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया है।
नालंदा जिले के अलग-अलग स्थानों में बीती रात से लेकर रविवार की शाम तक रूक-रूक कर हल्की से मध्यम दर्जा की बारिश होती रही। हालांकि बीच-बीच में मौसम इस कदर साफ दिखा और लगा कि मॉनसून की सक्रियता कमी है और अब बारिश रूक सकता है, लेकिन ठीक इसके विपरीत कुछ ही देर बाद आसमान में अंधेरा छाया और फिर बारिश शुरू हो गयी और ऐसा कई दफा हुआ। लगातार हो रही बारिश से खेत ओर खेत में लगी फसलें लगभग डूब चुकी है। गरमा सब्जी, मूंग आदि की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है और अब कई इलाकों में जलजमाव के कारण मकई की फसल भी बर्बाद होने की खबर है। कई स्थानों पर धान का बिचड़ा भी पानी में डूबा है। जलजमाव से यह स्थिति पैदा हुई है। अगर मौसम साफ नहीं हुआ और बारिश का सिलसिला जारी रहा तो अगात किस्म के धान के बिचड़े बर्बाद हो सकते है।
यूं तो सभी नदियों में पानी का बहाव तेज है, लेकिन अच्छी बात यह है कि पिछले दो दिनों से झारखंड में बारिश नहीं हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वहां बादल छाया हुआ है लेकिन बारिश नहीं होने से नदियों में उपर से पानी नहीं आ रहा है। जिले से गुजरने वाली अधिकांश नदियों का जलग्रहण क्षेत्र झारखंड है और ऐसे में अगर झारखंड में बारिश हुई तो नदियां उफान पर आ सकती है। जिला पदाधिकारी ने बताया कि विभागीय अभियंताओं को लगातार अलर्ट पर रखा गया है। झारखंड से भी संपर्क बरकरार है और वहां बारिश नहीं होना शुभ संकेत है। उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग के अनुसार अधिक बारिश के कारण नदियों में पानी बहा है, लेकिन आगामी कल से पानी कम होने का आसार जताया गया है।
सकरी नदी खतरे का निशान तक पहुंच गया है। इस नदी के जलस्तर में शाम तक 0.15 मीटर की वृद्धि हुई है। अगर थोड़ी भी पानी बढ़ी तो यह खतरे के निशान को पार कर सकता है। इसी प्रकार पैमार नदी में भी सुबह से शाम के बीच 0.15 मीटर की वृद्धि हुई है। हालांकि यह नदी भी खतरे के निशान से मात्र 0.06 मीटर नीचे है। जबक पंचाने नदी के जलस्तर को स्थिर बताया गया है। सुबह से शाम तक कोई परिवर्तन नहीं होने की बात कही गयी है। हालांकि कोसुक, रहुई आदि इलाके में जलस्तर में वृद्धि हुई है। बाढ़ निःस्सरण प्रमंडल द्वारा दिये गये प्रतिवेदन के अनुसार यह नदी अभी भी खतरे के निशान से नीचे है।
जबकि गोईठवा नदी के जलस्तर में भी 0.10 की वृद्धि सुबह से शाम के बीच दर्ज हुई है और यह नदी अभी भी खतरे के निशान से 1 मीटर नीचे है। जिराईन नदी के जलस्तर में 0.60 मीटर की बढ़ोतरी सुबह से शाम के बीच हुई है, जबकि सोईवा नदी के जलस्तर में 0.10 मीटर की वृद्धि दर्ज की गयी है। दोनों नदियां खतरे के निशान से नीचे है। जबकि कुम्हरी नदी में जलस्तर को स्थिर बताया गया है और यह नदी खतरे के निशान से नीचे चल रही है। विभाग ने सभी बांधों को सुरक्षित रहने, सतत निगरानी एवं चौकसी बरते जाने की बात कही है।