पटना

बिहार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में टूटी 760 शिक्षक-कर्मियों की सांस


आर्थिक तंगी से गुजर रहे परिजन, संगठनों ने लगायी मदद की गुहार

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में राज्य में प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों के तकरीबन 760 शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों की सांस टूटी है।

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा है कि पटना जिले में 35, भोजपुर में 26, बक्सर में 19, नालंदा में 39, कैमूर में 15, रोहतास में 22, मुजफ्फरपुर में 24, वैशाली में 24, शिवहर में 12, पूर्वी चंपारण में 30, पश्चिमी चंपारण में 24, सीतामढ़ी में 19, गया में 35,  नवादा में 26, जहानाबाद में 22, समस्तीपुर में 21, दरभंगा में 22, भागलपुर में 36, बांका  में 21, मुंगेर में 25, लखीसराय में 16, खगडिय़ा में 21, बेगूसराय में 25, जमुई में 16, शेखपुरा में 15, मधेपुरा में 18, सहरसा में 22, सुपौल में 24, अररिया में 26, किशनगंज में 24, पूर्णिया में 28, कटिहार में 19, गोपालगंज में 21, सिवान में 19, छपरा में 18 एवं मधुबनी में 18 शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं शिक्षकेतरकर्मियों की सांस टूटी है।

इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के शिकार सैकड़ों शिक्षक होम आइसोलेशन के साथ विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। कोरोना से सांस तोडऩे वालों के परिजन आर्थिक संकट के गंभीर दौर से गुजर रहे हैं।

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा,  कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार, वरीय उपाध्यक्ष नूनूमणि सिंह, राम अवतार पांडेय,  उपाध्यक्ष घनश्याम यादव, महादेव मिश्र, महासचिव नागेंद्रनाथ शर्मा एवं प्रवक्ता प्रेमचंद्र ने सरकार से मांग की है कि यथाशीघ्र मृत शिक्षकों के आश्रितों को आपदा राहत के तहत दी जाने वाली चार लाख रुपये की विशेष अनुदान राशि, 50 लाख रुपये की घोषित इंश्योरेंस की राशि, उनके आश्रित को अनुकंपा के आधार पर सरकारी सेवा में पक्की नियुक्ति तथा पारिवारिक पेंशन का लाभ मिले।

इसके साथ ही शिक्षकों को प्रथम दर्जे का कोरोना वारियर्स घोषित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराया जाये। क्वॉरेंटाइन सेंटर,  रेलवे स्टेशन, कोविड-19 केयर सेंटर सामुदायिक किचन आदि पर प्रतिनियुक्त शिक्षकों को अन्य कर्मियों की  भॉंति अतिरिक्त पारिश्रमिक सहित सरकारी कर्मियों की तरह अन्य सुविधाएं यथाशीघ्र मुहैया कराने की मांग भी की गयी है।

संगठन ने कहा है कि पहली लहर में ड्यूटी कर रहे या कोरोना से ग्रसित होकर अपनी जान गवाने वाले शिक्षकों में से कुछ को छोड़ कर शेष को आज तक न तो पूर्णरूपेण आर्थिक लाभ मिल पाया है ना अभी तक उन मृत शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी ही मिल पायी है।

इस बीच टीईटी-एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा है कि जिन शिक्षकों की जान कोरोना संक्रमण से हुई है, उनके परिजन को तत्काल ईपीएफ एवं अन्य सुविधा के अतिरिक्त आपदा राहत के तहत चार लाख की विशेष अनुग्रह राशि का भुगतान सुनिश्चित कर परिवार को राहत दिये जायें, जिससे उनके सामने भुखमरी की समस्या न रहे। पचास लाख का बीमा, विशेष पारिवारिक पेंशन, अनुकम्पा, विशेष भत्ता की भी मांग की है।

टीईटी-एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) ने कहा है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय नन्दनगढ़ (लौरिया) के दीपक आंनद वर्तमान में प्रतिनियोजन में थे। उनकी सांस 14 मई को टूट गयी। उनकी पत्नी नेहा कुमारी के मुताबि जब दीपक कोरोना संक्रमित हुए, तो उनका पिछले तीन-चार माह का वेतन, प्रशिक्षण उपरांत एरियर, हड़ताल अवधि का भुगतान बकाया था। उनकी शादी मात्र  दो साल पहले हुई थी। उनका एक वर्ष का बेटा शशांक आंनद है।

घर में पत्नी, बच्चे के अलावे माता, पिता, कुवारी बहन, बड़े भाई जो दिव्यांग है।

दूसरी ओर प्राथमिक विद्यालय चरिहानी (गौनाहा) के मृत्युंजय पाण्डेय का निधन 15 मई को हुआ। उनकी पत्नी पूनम देवी बताती है कि महीनों से वेतन और एरियर बकाया था। परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। मृत्युंजय को पहले बेतिया स्थित मेडिक्योर हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, लेकिन महंगा इलाज एवं ऑक्सीजन नही मिल पाने के कारण जीएमसीएच बेतिया ले जाना पड़ा, जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी।

इसी प्रकार नवसृजित प्राथमिक विद्यालय नरायनपुर, बिंद (नालंदा) के शिक्षक संतोष कुमार का निधन नौ मई को हो गया। पत्नी नीरू कुमारी, चार वर्ष का बेटा आयुष और दो साल की बेटी परी पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। पत्नी नीरू सदमे में हैं। घर की माली स्थिति बहुत ही खराब है।