जाले (दरभंगा)(आससे)। राज्य में कौशल विकास के स्वरूप को आधुनिक बनाए जाने के दृष्टिकोण से बीते रविवार को जिवेश कुमार, मंत्री, श्रम संसाधन विभाग द्वारा भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालय (बीएसडीयू जयपुर) प्रसिद्ध राजेंद्र और उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी) का भ्रमण किया गया।
मालूम हो की यह केवल कौशल-आधारित कार्यक्रमों में अध्ययन कराने वाला पहला भारतीय विश्वविद्यालय है, जिसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ निर्माताओं से प्राप्त मशीनरी और उपकरणों का उपयोग करके स्विस दोहरी प्रणाली पर आधारित समग्र कौशल प्रशिक्षण हेतु एक अग्रणी शिक्षा प्रदाता के रूप में स्थापित किया है। बीएसडीयू छात्रों में कौशल प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धी क्षमताओं में उत्कृष्टता को आत्मसात कराने में सक्षम और अनूठा संस्थान है।
इस संदर्भ में मंत्री ने बताया कि भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालय एक बहु-विषयक कौशल विश्वविद्यालय है जो विभिन्न कौशल विषयों में यथा: बी.वोक, एम.वोक और पीएचडी डिग्री प्रदान करता है। इसके अलावा, बीएसडीयू विभिन्न कौशल डोमेन में कौशल प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, उन्नत डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और विशिष्ट प्रशिक्षण पर कार्यक्रम भी प्रदान करता है।
बीएसडीयू कार्यक्रम, मुख्यत: व्यावसायिक कार्यक्रमों के लिए यूजीसी के निर्देशों, राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और संबंधित राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एनओएस) और योग्यता पैक (क्यूपी) को शामिल करते हुए संबंधित क्षेत्र के कौशल परिषदों (एसएससी) द्वारा प्रदान किए गए दिशानिर्देशों के अनुरूप संचालित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के सभी प्रशिक्षण स्विस ड्यूल सिस्टम पर आधारित है, जिसमें “ऑन द जॉब ट्रेनिंग” और “वोकेशनल स्कूल” शामिल है, जिसे भारतीय उद्योग के अनुरूप आवश्यक संशोधन करने के बाद अपनाया गया है। स्विट्ज़रलैंड में, कौशल विकास के लिए लगभग 247 ट्रेड उपलब्ध हैं। इससे प्रेरणा लेते हुए बीएसडीयू आज भारतीय युवाओं को इस तरह के इंटर-इंडस्ट्री कोर्स की पेशकश करने के लिए तैयार है।
स्विस मॉडल के विपरीत जो तीन से चार साल के लिए है, बीएसडीयू मॉडल तीन साल के डिग्री कोर्स के लिए है, प्रत्येक वर्ष दो सेमेस्टर होते हैं, जिसमें बीएसडीयू के साथ एक,तीन एवम पांच सेमेस्टर और उद्योग के साथ दो,चार एवम छह सेमेस्टर शामिल हैं। यूजीसी ने उम्मीदवारों व अभ्यर्थियों को उद्योग के अनुरूप तैयार करने के लिए एवं कौशल सेट की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के आधार पर बी.वोक कार्यक्रमों को मंजूरी दी है। बीएसडीयू ने 60% कौशल और 40% सामान्य शिक्षा घटक वाले बी,वॉक पाठ्यक्रम भी विकसित किया है।
मंत्री ने कहा कि बिहार राज्य में साठ आईटीआई को सेंटर ऑफ़ एक्सलेंस बनाये जाने की प्रकिया जारी है। जिसमें टाटा टेक का सहयोग लिया जा रहा है, अब सारे सरकारी संस्थान एनसीवीटी से सम्बद्ध हो चुके हैं। जिसका प्रमाणन अब देश और विश्व भर में मान्य है। पॉलिटेक्निक कॉलेज में भी रोजगारपरक कौशल की विधायें सिखाई जा रही है और कुशल युवा कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि प्राय: यह देखा गया है कि बिहार के युवा अभियंत्रण और अन्य विधाओं को सीखने, प्रदेश से बाहर जाते रहे हैं और जा भी रहे हैं, ऐसे में बिहार में भी कौशल विश्वविद्यालय की असीम संभावना है। सर्वविदित है कि बिहार आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी आज बेहतर प्रदर्शन कर रहा है और देश के सभी क्षेत्रों के युवा यहां आकर अध्ययन अध्यापन कर रहे हैं। ऐसे में राज्य के युवाओं के युवाओं के लिए कौशल विकास के लिए आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी, पटना और डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल, कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर की तरह बनाये जाने पर राज्य सरकार विचार किया जा रहा है।
बिहार सरकार निरतंर प्रदेश के युवाओं के कौशल विकास के लिए कार्य कर रही है, जिसका परिणाम है की आज श्रम संसाधन मंत्री, बिहार द्वारा भारतीय कौशल विश्वविद्यालय, जयपुर का भ्रमण किया एवम कौशल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री अजित चौधरी और अन्य अधिकारियों/ अध्यापकों के साथ बैठक कर विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई। जिससे बिहार की परिस्थितियों के अनुकूल सभी विधाओं को समाहित कर कौशल विश्वविद्यालय की परिकल्पना को जीवंत रूप दिया जा सके।