पटना

बिहार में नौ लाख लोग और हुए साक्षर


      • साक्षरता की केंद्र प्रायोजित योजना पढऩा-लिखना अभियानबंद
      • बेहतर बनाया जायेगा शिक्षा सेवकों का शिक्षण कौशल
      • चलेगा कोई बच्चा पीछे नहीं माता भी छूटे नहींकार्यक्रम
      • अक्षर मेला, समर कैम्प बारहमासा सरीखे होंगे आयोजन

डॉ. लक्ष्मीकान्त सजल-

पटना। राज्य में नौ लाख और लोग साक्षर हुए हैं। साक्षरों की संख्या  साक्षरता की राज्य सम्पोषित ‘महादलित दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना’ तथा केंद्र प्रायोजित योजना ‘पढऩा-लिखना अभियान’ ने बढ़ायी है। साक्षरता की केंद्र प्रायोजित योजना ‘पढऩा-लिखना अभियान’ अब बंद हो गयी है।

राज्य में शिक्षा सेवकों के माध्यम से 15 से 45 आयु वर्ग की महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय की  12 लाख असाक्षर महिलाओं को प्रतिवर्ष बुनियादी साक्षरता प्रदान करने तथा उन्हें विकास की योजनाओं से जोडऩे के लिए राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधन से महादलित दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना चलायी जा रही है। इस योजना के तहत महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक समुदायों के  छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों का स्कूल में नामांकन एवं उपस्थिति सुनिश्चित करने तथा उन्हें कोचिंग प्रदान करने की जिम्मेदारी भी शिक्षा सेवकों की है।

महादलित दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक समुदायों के  छह से 14 आयु वर्ग के  छह लाख 66 हजार 720 बच्चे शिक्षा सेवकों के माध्यम से स्कूलों में नामांकित कराये गये। इसके साथ ही इन समुदायों के छह से 14 आयु वर्ग के पांच लाख 55 हजार 213 बच्चों को शिक्षा सेवकों द्वारा कोचिंग भी दी गयी।

बच्चों से इतर असाक्षरों की बात करें, तो महादलित दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक समुदायों की पांच लाख 41 हजार 240 असाक्षर महिलाओं का नामांकन साक्षरता केंद्रों पर कराया गया। उन्हें साक्षरता का पाठ पढ़ाया गया। साक्षरता का पाठ पढऩे वाली सभी महिलाएं 15 से 45 आयु वर्ग की हैं।

महिला साक्षरता की राज्य सम्पोषित ‘महादलित दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना’ से इतर केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा साक्षरता की योजना ‘पढऩा-लिखना अभियान’ वित्तीय वर्ष 2020-21 में शुरू की गयी। इसकी अवधि केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा 31 मार्च, 2022 तक विस्तारित की गयी। इसके प्रथम वर्ष में चार लाख 20 हजार वयस्क असाक्षरों को 42 हजार वी. टी. के माध्यम से बुनियादी साक्षरता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया। जिला स्तर पर सर्वेक्षण के माध्यम से 26 लाख 81 हजार 522 वयस्क असाक्षरों तथा उन्हें साक्षरता प्रदान करने हेतु 61 हजार 392 स्वयंसेवकों की पहचान की गयी। तीन लाख 48 हजार 662 नवसाक्षरों का आंतरिक मूल्यांकन किया गया, तीन लाख 29 हजार 993 नवसाक्षर उत्तीर्ण हुए।

चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की शिक्षा विभाग की कार्य योजना के मुताबिक राज्य योजना के तहत ‘प्रथम’ संस्था के सहयोग से राज्य के सभी जिलों में शिक्षा सेवकों के शिक्षण कौशल बेहतर करने के लिए ‘कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी छूटे नहीं’ कार्यक्रम का संचालन किया जायेगा। इसके लिए वातावरण निर्माण हेतु अक्षर मेला, समर कैम्प, बारहमासा सरीखे आयोजन होंगे।