पटना

बेगूसराय: किसका आदेश सही पूर्व का या वर्तमान पदाधिकारी का


बेगूसराय (आससे) कुर्सी के बदलते ही पदाधिकारियों द्वारा निवर्तमान पदाधिकारी के आदेश को निरस्त करना बना फैशन। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है। बताते चलें कि माननीय उच्च न्यायालय पटना में दायर अवमानना बाद संख्या 2024/2018 नीलू त्रिपाठी अन्य बनाम राज्य सरकार के पारित आदेश एवं अपर सचिव शिक्षा विभाग पटना के ज्ञापांक 1267, 25 सितंबर 2019 द्वारा निर्गत आदेश के आलोक में कक्षा 1 से 5 तक के वैसे नियोजित शिक्षक जो बीएड उत्तीर्ण है तथा विभागीय नियमानुसार 6 माह का संवर्धन कार्यक्रम पूर्ण कर चुके हैं, उन्हें योगदान की तिथि अथवा योगदान के उपरांत बीएड उत्तीर्ण की तिथि से प्रशिक्षित वेतनमान की स्वीकृति की आदेश का पालन करने को कहा गया था।

इसी आलोक में तत्कालीन बेगूसराय स्थापना डीपीओ ने पत्रांक 393 दिनांक 25 जनवरी 2020 को आदेश दिया था कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में उन सभी शिक्षकों को ट्रेंड वेतनमान दिया जाए जो उक्त आदेश के अनुसार अपनी योग्यता पूरी करते हैं। इसी आलोक में पत्रांक 393 को ले तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने उक्त आदेश सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिया था।

वही वर्तमान जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सुमन शर्मा ने पत्रांक 392 को रद्द करने का आदेश दिया है। उपरोक्त आदेश जिला शिक्षा पदाधिकारी की स्वीकृति मिलने के बाद उक्त पत्र निकाला गया है। अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ ट्रेंड का वेतन देने का आदेश जारी किया जाता है तो वही समीक्षा उपरांत कह उसे पुनः निरस्त कर दी जाती है।

इससे शिक्षकों में काफी रोष व्यपात है। अब सवाल यह उठता है कि पूर्व के डीपीओ स्थापना का आदेश सही था या वर्तमान डीपीओ स्थापना का। इस तरह की आदेश से शिक्षकों को समझ मे नही आ रहा है कि किस पदाधिकारी का आदेश सही है। फिलहाल जो भी हो लेकिन शिक्षा विभाग पर प्रश्न उठना लाजमी है।