चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में 3 अक्तूबर को भगवंत मान सरकार के विश्वास प्रस्ताव में पड़े वोट को लेकर संशय खत्म हो गया है। विश्वास प्रस्ताव के दौरान स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने घोषणा की थी की विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 93 वोट पड़े।
स्पीकर ने सदन में मौजूद शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली और बसपा के विधायक नछत्तर पाल के वोट को भी प्रस्ताव के समर्थन में जोड़ा था। इस पर दोनों ही विधायकों ने स्पीकर की लिखित में दिया था कि वह प्रस्ताव के समर्थन में नहीं थे।
विधायकों के विरोध के बाद स्पीकर ने रिकार्ड में संशोधन कर दिया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता डा. दलजीत सिंह चीमा ने स्पीकर का धन्यवाद करते हुए कहा कि ऐसी नौबत आनी नहीं चाहिए थी। अब आम आदमी पार्टी सरकार का विश्वास मत 91 वोटों से पास हुआ माना जाएगा।
बता दें, भगवंत मान सरकार ने विश्वास मत हासिल करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र पहले 22 सितंबर को बुलाया था, लेकिन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पहले सत्र को मंजूरी देने के बाद इसे रद कर दिया। इससे सरकार व राजभवन के बीच मतभेद पैदा हो गए थे।
भाजपा राजभवन के पक्ष में आ गई, जबकि आम आदमी पार्टी ने राज्यपाल के फैसले का विरोध किया। 22 सितंबर को भाजपा व आम आदमी पार्टी ने प्रदर्शन किया। इसके बाद भगवंत मान सरकार ने 27 सितंबर से विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया, लेकिन राज्यपाल ने सरकार को यह स्पष्ट करने को कहा कि पहले वह सत्र का एजेंडा बताए।
भगवंत मान सरकार ने जब सत्र का एजेंडा बताया तब जाकर राज्यपाल ने सत्र बुलाने को मंजूरी दी। हालांकि एजेंडे में विश्वास मत का जिक्र नहीं था। बहरहाल, 3 अक्टूबर को सरकार ने विश्वास मत हासिल किया, जिसमें 93 विधायकों की वोटिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। सदन में आम आदमी पार्टी के 92 सदस्य हैं।