मणिपुर में दो दिन से नहीं हुई कोई हिंसा- केंद्र
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि पिछले दो दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है और कर्फ्यू में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में CAPF की 55 और सेना की 100 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया निर्देश
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा के दौरान विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राहत शिविरों में उचित व्यवस्था पर जोर दिया है और सरकार से लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मानवीय मुद्दे हैं, इसलिए राहत शिविरों में जरुरी इंतजाम किए जाएं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिंसा के बाद हालात को मानवीय मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि राहत शिविरों में उचित व्यवस्था की जानी चाहिए और वहां आश्रय वाले लोगों को भोजन, राशन और चिकित्सा सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को हिंसा से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया और कहा कि सेना और असम राइफल्स के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 52 कंपनियों को हिंसा प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया है।
17 मई को होगी मामले में अगली सुनवाई
शीर्ष अदालत ने पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने का आदेश दिया है। बता दें कि मणिपुर की पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासियों और इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर हुई हिंसक झड़पों में 50 से अधिक लोग मारे गए हैं। जबकि 23,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है और आश्रय दिया गया है। बता दें कि शीर्ष अदालत ने मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की है।