पहले दिन ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा की ओर से शुक्रवार को ही राहुल नार्वेकर ने और शिवसेना की ओर से शनिवार को राजन साल्वी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है। लेकिन इस चुनाव का सबसे रोचक प्रश्न यह उभरकर आ रहा है कि इसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में से किसका व्हिप प्रभावी होगा।
पार्टी में बगावत होने के बाद सिर्फ 16 सदस्योंवाली शिवसेना अपने सदस्य सुनील प्रभु को चीफ व्हिप (मुख्य सचेतक) मान रही है। जबकि एकनाथ शिंदे गुट ने अपने गुट के विधायक भरत गोगावले को मुख्य सचेतक नियुक्त कर दिया है। माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव ध्वनिमत एवं सदस्यों की गिनती के आधार पर होगा।
यदि ऐसा हुआ तो व्हिप की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाएगी। कौन से मुख्य सचेतक की व्हिप प्रभावी मानी जाएगी, यह मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। दावे-प्रतिदावे दोनों ओर से किए जा रहे हैं।
ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु का कहना है कि वह पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नियुक्त किए हुए मुख्य सचेतक हैं, इसलिए उनकी व्हिप प्रभावी होगी। जबकि शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले अपनी 39 सदस्यों की संख्या के आधार पर कहते हैं कि दो-तिहाई से अधिक सदस्य उनके गुट में होने के कारण उनकी व्हिप प्रभावी होगी।
इस असमंजस की स्थिति को लेकर कानून विशेषज्ञ भी कोई स्पष्ट राय नहीं दे पा रहे हैं। क्योंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे मानते हैं कि चूंकि वर्तमान विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल तकनीकी आधार पर शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले की नियुक्ति खारिज कर चुके हैं, इसलिए रविवार को तो उद्धव गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की ही व्हिप प्रभावी होगी।