मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता के दरबार कार्यक्रम के तहत सोमवार को गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार, कारा, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन, निगरानी, खान एवं भूतत्व तथा सामान्य प्रशासन विभाग से जुड़ी शिकायतों को सुना और फरियादियों की फरियाद पर कारवाई का आश्वासन भी दिया
-
-
- जनता दरबार में अचानक पहुंचे आरसीपी सिंह, मुख्यमंत्री बोले- एक कुर्सी लगा दो
-
पटना (निप्र)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार सोमवार को जनता का फ रियाद सुन रहे थे अचानक जनता दरबार के अंतिम समय में केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पहुंच गये। आरसीपी सिंह के पहुंचने की जानकारी मुख्यमंत्री को लगी। इसके बाद सीएम नीतीश ने तुरंत कहा कि आरसीपी सिंह आ रहे हैं। यहां एक कुर्सी लगा दो। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद फौरन जनता दरबार में मुख्यमंत्री के बगल में एक कुर्सी लगाई गई। केंद्रीय मंत्री आरसीपी ने नीतीश को अभिवादन कर कुर्सी पर बैठे और कहा कि बहुत देर से जनता दरबार चल रहा। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हां अब तक खत्मे होने वाला है।
गोतिया-भाई आपके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं
नालंदा से आये एक शख्स ने सीएम नीतीश से कहा कि आपके गांव कल्याण बिगहा के गोतिया-भाई आपके नाम का दुरूपयोग कर रहे। आपके नाम को भूनाकर जमीन का अवैध कब्जा कर रहे हैं। आप इस पर संज्ञान लीजिए। फरियादी की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने बहुत कुछ नहीं बोला और अधिकारियों के पास भेज दिया।
कहां दायें-बायें घूमते हैं
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद अपनी सीट पर बैठे नहीं थे। इस दौरान ही मुख्यमंत्री ने उनके टेबल पर लगे फोन कर फोन कर दिया। उन्होंने फोन उठाने में देर कर दी। इस दौरान सीएम को क्षण भर के लिए इंतजार करना पड़ा। फोन उठाते ही सीएम नीतीश ने अपर मुख्य सचिव गृह को कहा-दायें-बायें कहां घूमते रहते हैं? इधर आइए…..फिर वे भागे-भागे मुख्यमंत्री के पास पहुंचे। सीएम ने कहा कि इस पीडि़त महिला की शिकायत को देखिए और एक्शन लीजिए।
पिता नक्सली, बेटे को नौकरी से निकाला
एक युवक ने सीएम नीतीश से कहा कि हुजूर हमारा क्या दोष है ? अगर हमारे पिता नक्सली हैं तो हम दोनों भाईयों को प्राईवेट नौकरी से क्यों निकाल दिया गया। कंपनी ने बताया कि आईबी और पुलिस की रिपोर्ट पर आपको नौकरी से निकाला जा रहा है। आखिऱ हमारा क्या कसूर। हमारे पिता नक्सली हैं तो उसकी सजा उन्हें क्यो मिले। नौकरी से निकाले जाने के बाद हमारी मां तनाव में चली गई है। यह शिकायत सुनकर सीएम नीतीश चौंक गये। उन्होंने कहा कि यह बात तो सही कि पिता की सजा पुत्र को क्यों। इसके बाद तुरंत अधिकारियों को फोन लगाकर कहा कि इस मामले को देखिए। शिकायतकर्ता की पूरी बात सुनें और आगे की कार्रवाई करें। आखिऱ इसे नौकरी से क्यों निकाला गया।
जेल में हत्या पर चौंके सीएम
जेल में हत्या की बात सुन सीएम नीतीश चौंक गये और कहा कि जेल में हत्या कर दिया? फिर से सीएम नीतीश ने डीजीपी को फोन लगाया और कहा कि ये वैशाली से आये हैं। जेल में हत्या हो गई और इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। तुरंत इस मामले को देखिए। वहीं हाजीपुर से आये एक दूसरे व्यक्ति ने मुख्यमंत्री से कहा कि हाजीपुर नगर थाने की पुलिस कब्जा कराने का ठेका लेती है। नगर थाना की पुलिस एसपी की बात को भी नहीं सुनती। शिकायत सुन मुख्यमंत्री ने पीडि़त व्यक्ति को एडीजी के पास भेज दिया।
हाजिर हुए एडीजी
वैशाली के एक शख्स ने सीएम नीतीश से कहा कि हमारी जमीन को भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया। हमने तीन-तीन बार थाना में आवेदन दिया लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। उल्टे पुलिस ने हमारे बागीचा को भूमाफियाओं से मिलकर कटवा दिया। यह शिकायत सुनकर मुख्यमंत्री ने तुरंत एडीजी मुख्यालय को फोन लगाने को कहा। एडीजी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद सीएम नीतीश कहा कि कहां बैठे हैं बुलाओ उनको। सीएम के आदेश पर एडीजी को बुलाया गया। एडीजी के पहुंचते ही मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले को देखिए। सीएम नीतीश ने कहा कि फोन क्यों नहीं उठा रहे थे। तब एडीजी ने कहा कि सर…होम सेक्रेट्री के साथ बैठे हुए थे।
मुख्यमंत्री ने डीजीपी को लगाया फोन
धमकी देने वाला कह रहा कि पिता की लाश तो मिल भी गया तुम्हें मारेंगे तो लाश भी नहीं मिलेगा। पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी।यह शिकायत सुन नीतीश ने तुरंत डीजीपी को फोन लगाया। मुख्यमंत्री ने डीजीपी से कहा कि युवक के पिता की हत्या हुई है लेकिन अपराधी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। फिर से धमकी दे रहा है कार्रवाई करिए।
जान की रक्षा करिये हुजूर
अररिया के फारबिसगंज का एक नौजवान ने सीएम नीतीश से गुहार लगाई। शख्स ने सीएम नीतीश से कहा कि वे लोग सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को उजागर किया है। गड़बड़ी उजागर करने के बाद स्थानीय मुखिया ने एक महादलित महिला को आगे कर झूठा केस करा दिया। हमारी रक्षा करिए हुजूर वे लोग जान के दुश्मन बने हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पीडि़त शख्स को गृह विभाग के पास भेज दिया।
थानेदार ने 2000 गाय को तस्करों को बेच दिया
सीएम ने दिया जांच का आदेश
जनता दरबार में पहुंचे सीतामढ़ी जिला परिषद के सदस्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि सीतामढ़ी जिला अंतगर्त बेला थाना के थानेदार ने 2000 गायों को तस्करों के हाथों बेच दिया। जिन्होंने इन गायों की हत्या कर दी। मैंने पिछले तीन साल में बिहार के कई अधिकारी और पदाधिकारी से शिकायत की, लेकिन आजतक मुझे इंसाफ नहीं मिला। नेपाल से जो मवेशी तस्करी के लिए लाये जाते हैं,उन्हें एसएसबी वाले पकडक़र बेला थाना को दे देते हैं और फिर थानाध्यक्ष उन गायों को तस्करों के साथ में बेच देते हैं,जबकि एसएसपी को पकड़ी गई गायों या अन्य मवेशियों को सीतामढ़ी गौशाला में देना चाहिए। थानाध्यक्ष ने सात आदमी के साथ मिलकर दो हजार गायों को बेचा है। लेकिन शिकायत करने पर उल्टे मुझे जिला प्रशासन द्वारा ही फंसाते हैं। शख्स ने मुख्यमंत्री से आगे कहा कि घटना परसों की है। जनता दरबार में आने की खबर मिलते ही डीएसपी ने मुझे बुलाया और धमकाया कि सीएम के जनता दरबार में तुमको नहीं जाना है। तुम्हारा चुनाव होने वाला है। अगर तुम जाओगे, तो तुमको परेशान कर देगे।
जब मैंने बात नहीं मानी तो डीएसपी ने 2 अक्टूबर को तीन लोगों पर एफआईआर कर दिया। सीतामढ़ी जिला परिषद के सदस्य की शिकायत सुनकर खुद मुख्यमंत्री के भी होश उड़ गए। उन्होंने डीजीपी एसके सिंघल को फोन घुमाया और तत्काल इस मामले को देखने का आदेश दिया और युवक को पुलिस महानिदेशक के पास युवक को भेजते हुए कहा कि तुरंत इस मामले को देखिये।
ड्राइवर बनने में लग गये 5 साल
2016 में फॉर्म भरा, एग्जाम दिया, नौकरी भी हुई लेकिन जॉइनिंग गायब
मुख्यमंत्री के सामने एक ऐसा मामला सामने आया कि वो भी हैरान हो गए. दरअसल जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में पहुंचे एक शख्स ने बहाली की प्रक्रिया को लेकर शिकायत की, जिसे सुनकर सीएम नीतीश भी चौंक गए। दरअसल अक्टूबर महीने के पहले सोमवार के दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों की फरियाद सुन रहे थे। इस दौरान एक युवक अपनी शिकायत लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंचा और कहा कि नौकरी फाइनल हो गई है लेकिन जॉइनिंग नहीं हो रही। युवक के मुताबिक ड्राइवर बनने में उसे 5 साल का एक लंबा समय लग गया। बहाली प्रक्रिया में ये लंबा वक्त गुजर गया लेकिन उसकी जॉइनिंग नहीं हो रही है।
फरियादी युवक ने मुख्यमंत्री से कहा कि 5 साल पहले वर्ष 2016 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग की ओर से चालक के पद पर बहाली के लिए वैकेंसी निकाली गई। मैंने फॉर्म भरा, एग्जाम दिया। 4 साल में दिसंबर 2020 तक बहाली की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई। विभिन्न विभागों में आयोग की ओर से अनुशंसा भी कर दी गई। कई विभागों में दूसरे उम्मीदवारों की नियुक्ति हो गई लेकिन मेरी जॉइनिंग नहीं हो रही है। इस संदर्भ में मैंने पटना के डीएम से भी बात की लेकिन मेरी नियुक्ति नहीं हो रही।
युवक की पीड़ा सुनकर खुद मुख्यमंत्री भी हैरान रहे गए। उन्होंने अपने अधिकारी से बात की और कहा कि फौरन पटना के डीएम के पास इस मामले को भेजा जाये। युवक की शिकायत पत्र को पटना जिलाधिकारी के पास भेजकर इस मामले को देखने के लिए कहा।