ता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा, ‘‘मुख्य सचिव को 24 मई को सेवा विस्तार की अनुमति देने और चार दिन बाद के आपके एकपक्षीय आदेश के बीच आखिर क्या हुआ, यह बात समझ में नहीं आई। मुझे आशा है कि नवीनतम आदेश (मुख्य सचिव का तबादला दिल्ली करने का) और कलईकुंडा में आपके साथ हुई मेरी मुलाकात का कोई लेना-देना नहीं है।’’ केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को अलपन बंदोपाध्याय की सेवाएं दिल्ली के लिए मांगी थीं और राज्य सरकार को उन्हें तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था।
पश्चिम बंगाल में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) रिटायर हो गए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है। केंद्र सरकार द्वारा उन्हें दिल्ली बुलाए जाने के बाद खड़े हुए विवाद के बीच ये फैसला लिया गया। दरअसल केन्द्र सरकार का दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश नहीं मानने की वजह से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किये जाने की चर्चा थी। ऐसे में बीच का रास्ता निकालते हुए उन्होंने रिटायरमेंट ले ली और मुख्यमंत्री की सेवा के लिए उनके मुख्य सलाहकार का पद संभाल लिया। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद सोमवार 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार दिया गया था। उनकी जगह पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एच.के. द्विवेदी को पश्चिम बंगाल का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ना सिर्फ केन्द्र के आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया, बल्कि इस आदेश को भी असंवैधानिक करार दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में ममता बनर्जी ने राज्य को मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने के केंद्र के आदेश को असंवैधानिक बताते हुए पीएम से यह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया। ममता बनर्जी ने यह भी साफ कर दिया कि उनकी सरकार अलपन बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त नहीं कर रही है। उन्होंने पांच पन्नों के अपने पत्र में मुख्य सचिव को तीन माह का सेवा विस्तार दिए जाने के बाद, वापस बुलाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।उन्होंने पत्र में कहा है ‘‘पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं. यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है। पश्चिम बंगाल सरकार इस गंभीर समय में मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती, ना ही उन्हें कार्यमुक्त कर रही है.’’