स्वास्थ्य विभाग में मचा हडकंप
मोतिहारी (आससे)। जिला का स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी जिला में पदस्थापित रही एक महिला चिकित्सक अमृता जायसवाल को मृत घोषित कर उनके सेवान्त लाभ का गबन करने के प्रयास का भंडाफोड़ हुआ है। खुद महिला चिकित्सक ने अपने जिंदा होने का सबूत दिया है। साथ ही, डीएम और सिविल सर्जन समेत कई अधिकारियों को व्हाट्सएप मैसेज कर स्वास्थ्य विभाग के कारनामों की जानकारी दी है।
मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई। जबकि, सीएस का कहना है कि उन्होंने कभी भी अपने हस्ताक्षर से अमृता जायसवाल को मृत घोषित वाला एक भी पत्र जारी नहीं किया है। सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि डॉ. अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला बाजार में पदस्थापित थी।
उन्होंने वर्ष 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी। लेकिन उन्होंने सेवान्त लाभ नहीं लिया था। ‘डॉ. अमृता जायसवाल के सेवान्त लाभ के फाइल पर धोखा से उनके स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर ले लिया। लेकिन, जब मुझे स्टेनो पर शक हुआ तो इसकी तहकीकात शुरू की। सीएस ने कहा कि तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई गई है जो अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी।