राजगीर (नालंदा) (आससे)। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह की शैक्षणिक एवं प्रशासनिक विलक्षणता और नेतृत्व कौशल को एक बार फिर उनकी पहचान मिली है। वह हाल ही में ऑक्सफोर्ड से प्रोफेसरशिप की मानद उपाधि मिलने के बाद एसोसिएशन ऑफ द यूनिवर्सिटीज ऑफ एशिया एंड द पेसिफिक (एयुएपी) ने उन्हें अपनी सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया है। एयुएपी ने प्रोफेसर सुनैना सिंह के वैश्विक स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान को एक नई पहचान दी है।
एसोसिएशन आफ यूनिवर्सिटीज ऑफ एशिया एंड द पेसिफिक विश्व भर और खास तौर से एशिया प्रशांत क्षेत्र के विश्वविद्यालयों की एक गैर शासकीय संस्था है जहां करीब डेढ़ सौ सदस्य विश्वविद्यालय अपने प्रस्ताव और सुझाव साझा कर सकते हैं और आसपास में विचार विमर्श कर सकते हैं।
एयूएपी यूनेस्को के लिए औपचारिक तौर से उच्चतम परामर्शदाता संस्था है एयूएपी का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में उच्च शिक्षा क्षेत्रों में गुणवत्ता और अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देना है। इसके अलावा एयूएपी का गठन शिक्षा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर सामाजिक आर्थिक विकास और शांति को बढ़ावा देने के लिए भी किया गया है।
प्रोफेसर सुनैना सिंह को एक प्रखर शिक्षाविद् और संस्थान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। प्रोफेसर सिंह ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रोफेसर सिंह को उनकी ऐसे ही योग्यता के कारण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनकी उपलब्धियां राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं।