पटना

लोजपा पर चाचा का ‘कब्जा’


स्पीकर ने दी पारस को लोजपा संसदीय दल के नेता की मान्यता

नयी दिल्ली (एजेंसी)। बिहार में जमीन खो चुकी लोक जनशक्ति पार्टी अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथों में है लेकिन अब पार्टी में बड़ी फूट पड़ चुकी है। यही नहीं लोजपा ने अब चिराग पासवान की जगह पशुपति पारस को लोकसभा में अपना नेता चुन लिया है।

चिराग पासवान से न मिलकर सोमवार को पशुपति पारस ने अपने सांसदों के साथ जाकर लोक सभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है। स्पीकर को लोकसभा में लोजपा नेता के लिए पारस के नाम का लेटर सौंपा गया है जिसे 6 में से 5 सांसदों का समर्थन हासिल है। लोक जनशक्ति पार्टी में आज बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिला।

राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को छोड़कर पार्टी के बचे पांच सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता मान लिया है। इसके लिए दिन में लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला को एक चिट्ठी सौंपी गई थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। अब आधिकारिक तौर पर रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस लोकसभा में अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता होंगे। इस तरह अब पार्टी पर पशुपति पारस का वर्चस्व कायम हो गया है।

इससे पहले लोजपा की लड़ाई अब सड़कों पर आ गयी है। चिराग पासवान अपने चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके घर पहुंचे थे लेकिन काफी देर तक गाड़ी का हॉर्न बजाने के बावजूद भी गेट नहीं खोला गया, जबकि गाड़ी खुद चिराग चला रहे थ। पारस पहले ही घर से निकल चुके थे। बाद में पशुपति पारस के घर का मुख्य दरवाजा तो चिराग पासवान के लिए खुल गया, लेकिन उन्हें घर में एंट्री नहीं मिली। वह गाड़ी में बैठकर अपने चाचा से मिलने का इंतजार करते रह गये।

लोजपा में फूट पर बागी सांसद पशुपति पारस सामने आये और कहा कि हमारी पार्टी के 6 में से 5 सांसद पार्टी को बचाना चाहते हैं, मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान मेरा भतीजा और पार्टी का अध्यक्ष है और मेरी उनसे कोई खिलाफत नहीं है।

जेडीयू में जाने की अटकलों में पारस ने कहा कि यह सरासर गलत है, उन्होंने कहा कि लोजपा मेरी पार्टी है और बिहार में हमारा संगठन काफी मजबूत है। उन्होंने कहा कि हम केंद्र में एनडीए के साथ हैं और यह गठबंधन आगे भी जारी रहेगा।

इससे पहले हाजीपुर सांसद पशुपति पारस ने जेडीयू नेता ललन सिंह और आरसीपी सिंह से मुलाकात की थी। अब लोजपा के सभी 5 सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया था। लोक सभा के स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर सभी पांच सांसदों ने रविवार को इसकी सूचना भी दी थी।

जानकारी के मुताबिक लोजपा के सांसदों ने चिराग के खिलाफ बगावती रुख अपना लिया है। इसकी बड़ी वजह एनडीए से अलग होकर बिहार विधान सभा चुनाव लडऩे के फैसले को माना जा रहा है। बिहार चुनाव में पार्टी की दुर्दशा हुई थी और अकेले चुनाव लड़े चिराग पासवान की पार्टी को मुंह की खानी पड़ी थी।

सूत्रों का कहना है कि पशुपति पारस की अगुवाई में बागी सांसद चुनाव आयोग से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा दिल्ली में पार्टी नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं, जिसमें आगे की रणनीति का खुलासा होगा। पार्टी के कई बड़े नेता चिराग के काम से खुश नहीं है और न ही उनके फैसलों के साथ नजर आ रहे हैं। जिन नेताओं ने चिराग के खिलाफ बगावत की है उनमें पशुपति पारस के अलावा प्रिंस राज, महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह का नाम आ रहा है।

चिराग के करीबी सूत्रों ने इस बगावत के लिए जेडीयू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पार्टी लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था। सूत्रों ने बताया कि नाराज लोजपा सांसदों का गुट भविष्य में जेडीयू का समर्थन भी कर सकता है।

कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने भी लोजपा में पड़ी फूट के लिए बिहार में सत्ताधारी जेडीयू को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि जेडीयू राजनीतिक भ्रष्टाचार कर रही है। जब से जेडीयू का गठन हुआ तब से लेकर आज तक नीतीश कुमार दूसरे दलों को ही तोड़ रहे है। ये सही परंपरा नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को याद रखना चाहिए कभी वो भी विपक्ष में रहेंगे और उनके साथ भी यही घटना हो सकती है।