हांगकांग । चीन की कम्यूनिस्ट सरकार और प्रशासन देश के विभिन्न शहरों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर काफी सतर्क हो गया है। अब वो इस बात के लिए पूरी तरह से तैयार दिखाई दे रहा है कि सड़कों पर लोग किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन न कर सकें। इसके लिए हर शहर में खासतौर पर उन शहरों में जहां पर बीते दिनों जीरो कोविड नीति के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हैं, सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं।
सुरक्षा के कड़े प्रबंध
चप्पे चप्पे पर पुलिसकर्मी नजर बनाए हुए हैं। वर्दीधारी सुरक्षाकर्मियों के अलावा कई जगहों पर सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। हांगकांग में भी पिछले दिनों व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें राष्ट्रपति शी के विरोध में जमकर नारेबाजी हुई थी। ऐसे में अब प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गया है। चीन में हांगकांग काफी संवेदनशील माना जाता है। यहां पर चीन से आजादी के लिए कई बार लोग सड़कों पर उतर चुके हैं।
जीरो डिग्री के नीचे पारा
चीन की राजधानी बीजिंग समेत शंघाई, नानजिंग में तापमान जीरो डिग्री से भी नीचे दर्ज किया जा रहा है। इसके बाद भी यहां पर हुए विरोध प्रदर्शनों की वजह से राजनीति का पारा काफी ऊपर है। विरोध प्रदर्शन को लेकर हो रही आनलाइन काल पर भी अब सरकार ने कड़ा पहरा बिठा दिया है। इस तरह की किसी भी पोस्ट को तुरंत डिलीट किया जा रहा है। हाल के दिनों में चीन में जीरो कोविड नीति के बहाने से राष्ट्रपति शी चिनफिंग के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूटता हुआ दिखाई दिया है। इसको एक बड़े बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ चीन में कोरोना के मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है।
प्रदर्शनकारियों की मांग
चीन की सरकार देश में लगे लाकडाउन को कोरोना की रोकथाम के लिए जरूरी बता रही है। वहीं दूसरी तरफ लोग मांग कर रहे हैं कि अब इससे उन्हें निजात मिलनी चाहिए। लोगों की ये भी मांग है कि आरटीपीसीआर टेस्ट को कराने की भी आजादी उन्हें मिलनी चाहिए और प्रतिबंधों को खत्म किया जाना चाहिए। बता दें कि चीन में प्रतिबंधों का असर छोटे और बड़े कारोबार पर साफ दिखाई दे रहा है।
सरकारी नीतियों का प्रतिकूल प्रभाव
सरकरी की नीतियों की वजह से कारोबार और लोगों की आमदनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यही वजह है कि लोगों में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की जीरो कोविड नीति के खिलाफ गुस्सा भड़क रहा है। चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के खिलाफ दशकों में इस तरह का विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। कुछ शहरों में प्रशासन ने प्रतिबंधों में ढील देकर लोगों को राहत देने की पहल जरूर की है, लेकिन इस बाबत चीन की कम्यूनिस्ट सरकार के रवैये में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। जानकारों का कहना है कि सरकार इस बारे में खामोश रहने के पक्ष में है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चीन में विरोध प्रदर्शनों को लेकर कई दूसरे देश भी अब प्रतिक्रिया देने लगे हैं।
सड़कों पर उतरे छात्र
सोमवार को हांगकांग में करीब 50 छात्रों ने सड़क पर उतरकर जीरो कोविड नीति और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के खिलाफ नारेबाजी की। ये सभी चीन की हांगकांग यूनिवर्सिटी के छात्र थे। इनका कहना था कि प्रतिबंधों की वजह से लाखों लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इन सभी ने अपने चेहरे ढके हुए थे और ये No PCR Test but Freedom नारे लगा रहे थे। इसके अलावा ये Oppose dictatorship, dont be slaves! के नारे भी लगा रहे थे। बता दें कि प्रो डेमोक्रेसी प्रोटेस्ट के बाद से ही हांगकांग में काफी सतर्कता बरती जा रही है। इसी वर्ष में यहां पर कई बार बड़े विरोध प्रदर्शन हुए हैं। हांगकांग चीन का हिस्सा है लेकिन यहां का कानून चीन की प्रमुख भूमि से जुदा है।
प्रमुख भूमि पर भी प्रदर्शन
हांगकांग में हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल यहां की यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले शंघाई के 29 वर्षीय छात्र जेम्स काई ने कहा कि वो काफी लंबे समय से कहना चाहता था लेकिन उसको कभी मौका नहीं मिल सका। यहां पर हुए विरोध प्रदर्शन को उन्होंने पूरी तरह से शांतिपूर्ण बताते हुए कहा कि छात्रों ने अपने हाथों में ब्लैंक व्हाइट पेपर लिए हुए थे जो मौजूद सरकार के खिलाफ अपने गुस्से के इजहार का प्रतीक था।
शिनजियांग की घटना से भड़का गुस्सा
उन्होंने कहा कि यदि चीन की प्रमुख भूमि के लोग ही सरकार के खिलाफ हैं तो हम भला क्यों ऐसा नहीं कर सकते हैं। जेम्स ने ये भी कहा कि वो नहीं जानते हैं कि पुलिस ने कितने लोगों को हिरासत में लिया है। उनके मुताबिक शिनजियांग के एक अपार्टमेंट में लगी आग के बाद कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि लाकडाउन की वजह से दमकलकर्मी हादसे वाली जगह पर देर से पहुंच सके। इसकी वजह से वहां पर दस लोगों की मौत हो गई थी।