जाले (दरभंगा)(आससे)। श्राप से शापित हुई पंच कन्याओं में शुमार, ब्रह्माजी की मानस पुत्री व न्यायशास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम की पत्नी मां अहिल्या का उद्धार भगवान प्रभु श्रीराम के चरण धूलि से हुई। लेकिन मिथिलांचल की इस पावन अहिल्यास्थान भूमि का उद्धार नही हो सका। मानो यह भूमि अपने उद्धारक का इंतजार कर रही है। विकास के सभी काम बाधित, सीतामढ़ी दरभंगा रेलमार्ग में अवस्थित कमतौल रेलवे स्टेशन से सटे तीन किलोमीटर दक्षिण स्थित अहिल्यास्थान, जहां कोई भी आना जाना नही चाह रहा था। जिसे देखते हुए आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व इस स्थान की महत्ता से परिचित होने के बाद दरभंगा राज परिवार ने यहां सुसज्जित विशाल व गगनचुंबी श्रीराम जानकी मंदिर का निर्माण कराया था।
करीब 16 एकड़ में महाराजी पोखरे की खुदाई भी करवायी, जो आज स्थानीय लोगों द्वारा बड़ी तेजी से अतिक्रमित किया जा रहा है। इसके बाद लगभग 1900 ई. में दरभंगा के पूर्व महाराजा रामेश्वर सिंह व लक्ष्मेश्वर सिंह ने अहिल्या कुंड की खुदाई करायी। लोगों की माने तो अहिल्या हर्द की खुदाई के समय वहां दो कूप का भग्नावशेष मिला। बताया जाता है कि लगभग 1885 ई. में अहिल्यास्थान में आये संत ललित किशोरी जी ने कहा था कि महाभारत के वन पर्व में उस कूप का जिक्र है। प्रचलित कथा के अनुसार माता अहिल्या के साथ इंद्र ने छल से उनका सतीत्व नष्ट करने की चेष्टा की थी। यहां प्रति वर्ष दो बार वृहत मेला लगता है। एक चैत्र में राम नवमी के अवसर पर और दूसरा अगहन महीने के विवाह पंचमी के अवसर पर। लेकिन भारी भीड़ चैत्र में राम नवमी मेला में जुटती है।
वहीं भारत सरकार के पूर्व ऊर्जा सचिव राम विनय शाही के द्वारा अंधकार से डूबे इस क्षेत्र में रौशनी लाने व इसके विकास के लिए अहिल्यास्थान में एक पावर सब स्टेशन एवं चार बड़े-बड़े विश्रामालय, धर्मशाला एवं अन्य जनउपयोगी भवन का निर्माण कराया। परन्तु रखरखाव के आभाव को वह भी आंसू बहाने को विवश है। यहां तक कि उस सभी भवन का रंग रोगन कराने वाला कोई नही है। इसी के साथ भाजपा विधायक व बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार भी इस स्थान के सर्वांगीण विकास के लिये नित्य प्रत्यनशील रहकर सबसे महत्वपूर्ण कार्य ग्रामीण विभाग की सड़क को पीडब्ल्यूडी में स्थानांतरित कराकर अहिल्यास्थान व गौतमकुण्ड को बेहतरीन सड़कें देकर पर्यटकों को निर्वाध इस स्थान तक पहुंचने का राह अत्यंत सुगम कर दिया। बीते वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अहिल्यास्थान आने के बाद यहां चाहरदीवारी सहित सत्संग भवन के निर्माण हुये। अहिल्या हर्द तालाब का सौंदर्यीकरण व घाटों का निर्माण हुआ। मनरेगा से तालाब की खुदाई भी हुई। लेकिन सभी देख-रेख के अभाव में अपनी त्रासदी की कहानी स्वयं बयां कर रहा है।
इस बीच धार्मिक न्यास पर्षद पटना द्वारा बीते एक दशक पूर्व श्रीराम जानकी मंदिर का अधिग्रहण कर लिया गया एवं इसके विकास के लिए स्थानीय स्तर पर धार्मिक न्यास समिति का गठन कर लिया गया। लेकिन यह समिति अपने मार्ग से भटक कर इसके विकास के लिए कोई सार्थक प्रयास नही किया। इसके कारण सभी नवनिर्मित भवन व श्रीराम जानकी मंदिर जर्जर होने के कगार पर खड़ा है। यहां तक कि सभी भवन में ताले लटके हुए एवं उसके ऊपर पौधे उग आए है।