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(ऋषिकेश पाण्डेय) मऊ। जिला अस्पताल में दिनों दिन लापरवाही बढ़ती ही रही है। रविवार की रात इमरजेंसी सेवा बगैर चिकित्सक केवल फार्मासिस्ट के भरोसे चली।मानवाधिकार आयोग का हवाला देते हुए फार्मासिस्ट ने न किसी मरीज को भर्ती किया और ना ही पहले से भर्ती किसी मरीज का इलाज ही किया।जिससे इलाज के अभाव में पहले से भर्ती दो मरीजों की मौत हो गयी,जब उनके परिजनों ने हंगामा शुरू किया तो फार्मासिस्ट ने खुद को बचाने के लिए एसपी और डीएम से उसी समय मोबाइल का स्पीकर ऑन कर वार्ता किया और सीएमओ,सीएमएस को रात में ही ड्यूटी पर नियुक्त चिकित्सक के न आने की जानकारी व्हाट्सऐप पर भेज दिया। सुबह होते ही सभी आला अधिकारियों को जिला अस्पताल की कमियों के बारे में एक शिकायत पत्र भी लिखा। बताया जाता है कि रविवार को अपराह्न दो बजे से 8:00 बजे तक डॉक्टर सुबोध चंद्र की इमरजेंसी ड्यूटी लगाई गई थी और 8:00 बजे के बाद रात की ड्यूटी डॉक्टर आशुतोष को करनी थी। लेकिन, अपनी ड्यूटी से लापरवाह चिकित्सक अपने से बड़े अधिकारी को बगैर सूचना दिए ही नदारद रहे। जिसकी वजह से पहले से दो भर्ती मरीजों को इलाज के अभाव में मौत की आगोश में जाना पड़ा। जब परिजनों ने हंगामा शुरू किया तो खुद को बचाने के लिए तुरंत स्पीकर ऑन कर फार्मासिस्ट पी एन सिंह ने डीएम को फोन लगाया और सारी हकीकत को बताया। उसके बाद C M S को फोन कर मरीजों का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए कहा। 1:00 बजे रात को सीएमएस खुद बीमारी की हालत में इमरजेंसी सेवा को देखने के लिए पहुंचे और भर्ती अवस्था में मृत हुए लोगों का प्रमाण पत्र बनाया। गुस्से से आगबबूला हुए फार्मासिस्ट एन सिंह ने इस महामारी में इतनी बड़ी लापरवाही को देखते हुए डीएम, एसपी और सीएमओ,सीएमएस आदि अधिकारियों को एक शिकायती पत्र लिखा।डीएम से सीएमएस डाक्टर बृज कुमार ने कहा कि मेडिकल अफसर उनकी सुनते ही नहीं।लेकिन,सबसे बङा सवाल यह है कि जब मेडिकल अफसर सीएमएस की नहीं सुनते तो आखिरकार वे ऐसे चिकित्सकों की रिपोर्ट शासन को क्यों नहीं करते?शासन-प्रशासन से जिला अस्पताल में व्याप्त दुर्व्यवस्था की शिकायत करने वाले फार्मासिस्ट पी एन सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि जिला अस्पताल के चिकित्सक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को डोङहा सांप समझते हैं और भली-भांति जानते हैं कि वह काट नहीं सकता और यदि काट भी दिया तो वह विष विहीन होता है।कोई असर नहीं होगा।इसलिए जिला अस्पताल के चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं और मरीज तङप-तङप कर दम तोङ रहे हैं।