कानपुर, सिख विरोधी दंगा मामले में अपर जिला जज विकास गोयल ने मंगलवार को दो आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। इससे पहले भी आठ आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वर्ष 1984 में हत्या के बाद शहर में भी सिख विरोधी दंगा भड़क गया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार झा ने बताया कि निराला नगर के गुरुदयाल सिंह के यहां राघवेंद्र सिंह के साथ मिलकर लोगों ने लूटपाट की थी। एक सिख को गोली मार दी गई थी, जबकि दो सिख युवकों को ऊपर से फेंकने के बाद जिंदा जला दिया गया था। इस घटना की रिपोर्ट वीरेंद्र सिंह ने अज्ञात में किदवई नगर थाने में दर्ज कराई थी। तब पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर दिया था।
एसआइटी ने जांच शुरू की, जिसके बाद अब तक 28 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मंगलवार को निराला नगर निवासी उमर सिंह भूरा और जूही लाल कालोनी निवासी मुस्तकीम की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। विरोध करते हुए अभियोजन की ओर से कहा गया कि जघन्य हत्याकांड था, दोषियों को ऐसे छोड़ा नहीं जा सकता है। जमानत दी जाएगी तो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर जांच को प्रभावित करेंगे। इस पर न्यायालय ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।