भुवनेश्वर। सिर्फ भौतिक लाभ के मापदंड पर अपने सफलता का विचार न करें। सफलता के पारंपारिक विचार व समाज के दबाव में न आकर आप जीवन में जो भी करना चाहते हैं उसे तय करें। जो काम आपको आत्मसंतोष प्रदान करे व खुशी दे उस कार्य को करे। जो कार्य आप के परिवार को गर्व प्रदान करे उसे स्वयं तय कर आगे बढ़ें।
राउरकेला स्थित एनआईटी के दीक्षांत कार्यक्रम में उद्बोधन देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्र-छात्राओं को यह सलाह दी। राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे हमेशा महात्मा गांधी के प्रख्यात सूत्र वाक्य को स्मरण करें। इसका संदेश यह है कि किसी भी कार्य करने को करते समय आपके द्वारा देखे गये गरीब व निर्बल व्यक्ति को याद करें। आपके द्वारा किये गये कार्य से उस व्यक्ति के जीवन में कुछ लाभ होगा या नहीं, इस पर विचार करें। यदि आपके कार्य से उस व्यक्ति के भाग्य में परिवर्तन होगा, ऐसा आपको लगेगा तो उस हिसाब से कार्य़ करें।
उन्होंने कहा कि ओडिशा का यह क्षेत्र इतिहास और संस्कृति में काफी समृद्ध रहा है। यह शुरुआती समय से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण का पालन कर रहा है। लगभग 800 साल पहले निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर कला और विज्ञान के आदर्श मिश्रण का एक उदाहरण है। ओडिशा स्वतंत्रता के बाद हमारे राष्ट्र के पुनर्निर्माण से जुड़ा है। राउरकेला में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत में एक बड़े स्टील प्लांट की पहली ब्लास्ट फर्नेस राष्ट्र को समर्पित किया। पूर्वी भारत में सरकार के दूसरे सबसे बड़े प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में एनआईटी राउरकेला ने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। छह दशकों से यह इंजीनियरिंग कॉलेज देश में तकनीकी पेशेवरों को समृद्ध कर रहा है।
उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि एनआईटी राउरकेला में भारत के कुल 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 के छात्र हैं। मुझे बताया गया है कि 17 देशों के छात्रों को विभिन्न शैक्षणिक विषयों में नामांकित किया गया है। मैं आपको सलाह देता हूं कि केवल भौतिक लाभ के संदर्भ में अपनी सफलता का आकलन न करें। आपको सफलता और सामाजिक दबावों की पारंपरिक धारणाओं के दबाव में खुद को सीमित नहीं करना है। आपको यह पता लगाने की आवश्यकता है कि आप वास्तव में अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीकी व वैज्ञानिक शिक्षा में लड़कियों की प्रवेश संख्या कम है। हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण में भारत में इंजीनियरिंग व तकनीकी संस्थानों में लड़कियों की प्रवेश संख्या मात्र 20 प्रतिशत है। हमारी लडकियों को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रवेश करा कर अन्य क्षेत्रों की तरह इसमें अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित किये जाने की आवश्य़कता है। उच्च शिक्षा विशेष कर इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रौद्यगिकी, गणित आदि क्षेत्रों में लड़कियों के अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है।