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सुुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे से जुड़ेे सभी मामलों को बंद करने का किया ऐलान


नई दिल्‍ली, । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज दो बड़े मामलों को बंद करने का फैसला लिया है। इनमें से एक है उत्‍तर प्रदेश के अयोध्‍या (Ayodhya) में स्थित विवादित ढांचे को ढहाए जाने से संबंधित मामला और दूसरा गुजरात हिंसा से जुड़ी कार्यवाही है। कोर्ट ने आज अयोध्‍या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद 1992 में इससे संबंधित दायर अवमानना की सभी याचिकाओं को भी बंद करने का ऐलान किया है। यह निर्णय साल 2019 में कोर्ट के फैसले के मद्देनजर लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, वक्‍त काफी बीत चुका है और अब इस मामले में नया कुछ नहीं रहा है। इसी के साथ 2019 में राम मंदिर मुद्दे पर आए फैसले को देखते हुए अब इन याचिकाओं को बंद किया जाता है।

इस मामले में लालकृष्‍ण आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी रितम्भरा, विष्णु हरि डालमिया, अशोक सिंघल और गिरिराज़ किशोर पर दंगा उकसाने और नफरत फ़ैलाने जैसे आरोप हैं।

दिल्‍ली के रहने वाले शख्‍स असलम भूरे ने मस्जिद को गिराने से रोकने में विफल रहने के लिए प्रदेश सरकार और इसके कुछ अधिकारियों के खिलाफ दायर की गई थी। मालूम हो कि 6 दिसंबर, 1992 को भाजपा, विहिप और शिवसेना सहित कई अन्‍य हिंदू संगठनों ने मिलकर इस विवादित ढांचे को गिरा दिया था जिससे सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई और कई लोग मारे गए।

9 नवंबर, 2019 को तत्‍कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोइ की अध्‍यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्‍यीय संवैधानिक पीठ ने इस दशकों पुराने लंबे विवाद का निपटारा कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमीन पर मालिकाना हक मंदिर का बनता है और इसी के साथ मुस्लिम पक्ष को भी शहर के किसी महत्‍वपूर्ण स्‍थान पर मस्जिद बनाने के लिए सरकार को पांच एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया गया।

कोर्ट ने इस दौरान जमीन पर एक भव्‍य राम म‍ंदिर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्‍ट बनाने की भी जिम्‍मेदारी दी थी। इसी आदेश के बाद 5 अगस्‍त, 2020 को रामजन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट ने वहां भूमि पूजन किया और तब से मंदिर बनाने का काम जारी है।

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने साल सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गुजरात दंगे से भी जुड़े सभी मामले बंद कर दिए हैं।