कोरोनाके खिलाफ जंगमें कुछ सुखद और राहतकारी संकेत सामने आये हैं। यदि इसका क्रम इसी तरह बना रहा तो कोरोनाको परास्त करनेमें सफलताका मार्ग तेजीसे प्रशस्त हो सकता है, बशर्ते जनता भी किसी प्रकारकी कोई लापरवाही नहीं करे। संक्रमणके नये मामले लगातार कम हो रहे हैं और ठीक होनेवालोंकी संख्या भी तेजीसे बढ़ रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने शुक्रवारको जो आंकड़ा जारी किया है, उसके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें देशमें दो लाखसे कम नये मामले सामने आये। इस अवधिमें एक लाख ८६ हजार ३६४ नये मामले दर्ज हुए और ३६६० लोगोंकी मृत्यु हुई। ४४ दिनोंमें पहली बार नये मामलोंमें इतनी कमी आयी है। मृतकोंकी संख्यामें भी कमी आयी है। देशमें ढाई करोड़से अधिक लोग कोरोनाको परास्त करनेमें सफल हुए हैं। मरीजोंके ठीक होनेकी राष्टï्रीय दर ९०.०१ प्रतिशत हो गयी है, जबकि मृत्यु दर १.१५ प्रतिशत है। जांच अभियानमें भी तेजी आयी है। देशमें अबतक ३३ करोड़से अधिक लोगोंकी जांच हुई है। इसी प्रकार टीकाकरणका कार्य भी प्रगतिपर है। अबतक २० करोड़ ५७ लाख २० हजार ६६० लोगोंका टीकाकरण हो चुका है। यह विश्वके लिए एक कीर्तिमान भी है। वैसे टीकाकरण अभियानको और तेज करनेकी आवश्यकता है। टीकोंकी उपलब्धता बढ़ानेके साथ टीकाकरण केन्द्रोंकी व्यवस्थागत खामियोंको भी दूर करना होगा। केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धनने कहा है कि बुजुर्गोंके लिए घरके पास ही टीका केन्द्रकी व्यवस्था की जा रही है। इससे वरिष्ठï नागरिकोंको राहत मिलेगी और उन्हें दूर नहीं जाना होगा। राज्योंसे कहा गया है कि वे सामुदायिक विकास भवनों, पंचायत घरों, स्कूल भवनों और वृद्धाश्रमोंमें टीका केन्द्र बनायें। वरिष्ठï नागरिकों और दिव्यांगोंके लिए विशेष व्यवस्था करनेकी जरूरत है। टीकोंकी उपलब्धतापर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस समय कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक टीके लगाये जा रहे हैं लेकिन जुलाईमें चौथा टीका भी आ सकता है। बूस्टर डोजके सम्बन्धमें भी केन्द्र सरकारको यथाशीघ्र निर्णय करना चाहिए। आयुष मंत्रालयने अब होम्योपैथिक डाक्टरोंको भी कोरोनाके मरीजोंका इलाज करनेकी अनुमति देकर अच्छा कदम उठाया है, क्योंकि होम्योपैथीमें भी कई कारगर दवाएं उपलब्ध हैं जिससे लोगोंका इलाज किया जा सकता है। स्थितियां तेजीसे सुधर रही हैं। २० राज्योंमें सक्रिय मामलोंमें गिरावटकी प्रवृत्ति बनी हुई है। विगत २० दिनोंसे नये मामलोंकी संख्या भी तेजीसे घट रही है। इसके बावजूद अभी पूरी सावधानी बरतनेकी आवश्यकता है। इसीलिए केन्द्र सरकारने कोविड दिशा-निर्देशोंको ३० जूनतक जारी रखनेका निर्णय किया है। जिन जिलोंमें अधिक मामले हैं वहां स्थानीय स्तरपर नियंत्रणके उपाय किये जायंगे और इससे अच्छे परिणाम भी आयंगे।
अमेरिका-चीनमें टकराव
अमेरिका और चीनके बीच बढ़ते टकरावसे एक बार फिर दोनों देश आमने-सामने आ गये हैं, क्योंकि अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेन भी अमेरिकाके पूर्व राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्पके नक्शेकदमपर चल पड़े हैं। कोरोना वायरस हो या हिन्द प्रशान्त क्षेत्र दोनों मुद्दोंपर अमेरिकाके आक्रामक रुखसे चीनकी बेचैनी बढ़ गयी है। कोरोना वायरसको लेकर अमेरिकाने चीनके खिलाफ मोरचा खोल दिया है जिससे चीनके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्लूएचओ) की भी मुश्किलें बढऩेवाली हैं, क्योंकि वह एक बार चीनको क्लीनचिट दे चुका है। अब उसपर नये सिरेसे और साफ-सुथरी जांचके लिए दबाव बढ़ेगा। यदि डब्लूएचओ ऐसा नहीं करता है तो अमेरिका उसके लिए बड़ी परेशानीका सबब बन सकता है। अमेरिका ही नहीं, विश्वके अनेक देश कोरोना वायरसके लिए चीनको जिम्मेदार मानते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प जब राष्टï्रपति थे तब उन्होंने सार्वजनिक रूपसे इसे चीनी वायरस कहा था। उनका दावा था कि अमेरिकी जांच एजेंसीके पास इसके पूरे सबूत हैं कि यह चीनसे ही निकला और चीनने ही इसे फैलाया। ट्रम्पके हटनेके बाद यह मुद्दा ठण्डा पड़ गया था लेकिन जांचके लिए दबाव बढऩेके कारण जो बाइडेनने सख्त रुख अपनाया है और खुफिया एजेंसियोंसे सार्स कोव-२ वायरसका स्रोत खंगालनेकी कोशिशोंमें तेजी लानेके साथ ९० दिनोंके भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपनेका निर्देश दिया। जो बाइडेनकी आक्रामक रणनीतिसे चीनकी बौखलाहट बढऩा स्वाभाविक है, क्योंकि अमेरिका उसके प्रभुत्वको हिन्द प्रशान्त क्षेत्रमें कड़ी चुनौती दे रहा है। ट्रम्पके दौरमें अमेरिकी नेवीके दो वारशिप ताइवानकी खाड़ीमें तैनात थे। बाइडेनने इनकी संख्या चार कर दी है। गाइडेड मिसाइलसे लैस वारशिपके कारण चीनी नेवी ताइवानके पास नहीं जा पा रही है। इससे उसकी विस्तारवादी नीतिको बड़ा झटका लगा है। इसके बावजूद चीन अपनी नापाक हरकतोंसे बाज आनेवाला नहीं है, वह जांचको हरसंभव प्रभावित करनेका प्रयास करेगा, लेकिन उसके हर प्रयासको नाकाम कर कोरोना वायरसका सच सबके सामने लाया जाना चाहिए।