नई दिल्ली, । हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देश-दुनिया में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाया जाता है, आज के इस अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में उन महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार दिया, जिन्होंने महिलाएं सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सहित अन्य क्षेत्रों में अपना परचम लहराया है। आपको बता दे कि नारी शक्ति पुरस्कार 2022 भारत सरकार की एक पहल है, जिसके तहत महिलाओं को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया सम्मानित
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विभिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय और उत्कृष्ट काम करने वाली 29 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति ने इन महिलाओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया
अनीता गुप्ता
राष्ट्रपति कोविंद ने ग्रामीण और वंचित महिलाओं को सशक्त बनाने में उनके योगदान के लिए अनीता गुप्ता को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। अनीता गुप्ता भोजपुर, बिहार की एक सामाजिक उद्यमी (एंटरप्रेन्योर) हैं, जिन्होंने 50 हजार से अधिक वंचित ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित किया है।
आरती राणा
राष्ट्रपति कोविंद ने आरती राणा को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। आरती राणा उत्तर प्रदेश के खीरी की एक हथकरघा बुनकर और शिक्षिका हैं , उन्होंने 800 से अधिक थारु महिलाओं को शिल्प का प्रशिक्षण दिया है और 150 महिला स्वयं सहायता समूहों की स्थापना की है, जिससे आदिवासी बुनकर महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है।
डा इला लोध
राष्ट्रपति कोविंद ने महिलाओं के स्वास्थ्य, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वालों के लिए उनके योगदान के लिए डा इला लोध (मरणोपरांत) को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्किमानित किया। यही नहीं उन्होंने त्रिपुरा के हेपेटाइटिस फाउंडेशन की भी स्थापना की है।
जया मुथु और तेजम्मा
राष्ट्रपति कोविंद ने जया मुथु और तेजम्मा को नीलगिरी, तमिलनाडु की सदियों पुरानी जटिल टोडा कढ़ाई को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया।
जोधैया बाई बैगा
राष्ट्रपति कोविंद ने आदिवासी बैगा कला को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए जोधैया बाई बैगा को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जनजातीय संस्कृतियों को कैनवास पर चित्रित करते हुए, जोधैया बाई बैगा के काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इटली और फ्रांस में प्रदर्शित किया जा चूका है।