चंडालिका सहित कई नाटकों का मंचन
काशी विद्यापीठ के सौ वर्ष पूरे होने के मौक़े पर आयोजित शताब्दी समारोह के चौथे दिन शनिवार को गांधी अध्ययन पीठ के सभागार में सांध्य कार्यक्रम में नाटक का मंचन भी हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रसिद्ध कथक नृत्यक अभिषेक बसक द्वारा शिव स्तुति के शानदार प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित नृत्य नाटिका चंडालिका का मंचन किया गया जो एक अछूत चांडाल कन्या के जीवन पर आधारित है । यह बौद्ध कथा है। नाटक मंचन के इसी कड़ी में काशी विद्यापीठ के प्रेरणाता , सत्य अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता बापू के क्रांतिकारी जीवन को चरितार्थ करने वाले नाटक गांधी तेरी स्मृतियां का मंचन हुआ। डॉक्टर शुभ्रा वर्मा के निर्देशन में निर्देशित दोनों नाटक का मंचन छात्रों ने किया । कार्यक्रम में स्वदेश लघु फिल्म के माध्यम से काशी विद्यापीठ, बी.एच.यू तथा बनारस के मनोरम दृश्य को विजय नामक पात्र के द्वारा दर्शाया गया। कार्यक्रम के अंत में आखिरी नाटक गेशे जम्पा का मंचन हुआ। यह नाटक नीरजा माधव द्वारा लिखा गया है। नाटक में तिब्बत के लोगों के बारे में पनपते सोच और भावना को दर्शाया गया है। इस मौक़े पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दीपक बजाज ने कहा कि हमारा साहित्य हमारे समाज का दर्पण है और समाज की उन्नति का स्रोत भी है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर बनाना ही एक सशक्त भारत का निर्माण है। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात साहित्यकार डॉ नीरजा माधव थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वाइसचांसलर प्रोफेसर टी एन सिंह ने तिब्बतन लोगों पर आधारित नाटक गेशे जम्पा तथा लघु फिल्म स्वदेश की सहराहना की। कार्यक्रम का संयोजक डॉक्टर राहुल गुप्ता थे। संचालन सौरभ श्रीवास्तव ने किया।