सीबीआइ का मानना है कि मवेशी तस्करी से मिलने वाला कमीशन ही अनुब्रत की आय का मुख्य स्रोत था। बता दें कि हाल में सीबीआइ ने अनुब्रत तथा उनके करीबियों के 17 करोड़ रुपये के फिक्स्ड डिपाजिट को फ्रिज किया है।सीबीआइ की टीम ने 17 अगस्त को मंडल तथा उनके करीबियों के यहां मैराथन तलाशी अभियान चलाया था।
मंडल के करीबियों के बैंक खातों में करोड़ों रुपये जमा होने का पता चला था। इनके यहां से 16.97 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपाजिट जब्त किया था। इस बाबत जांच अधिकारियों ने बोलपुर स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को इस बारे में सूचित कर दिया था। अधिकारियों बैंक खातों को फ्रिज कर दिया था। सीबीआइ अधिकारियों का मानना है कि मवेशी तस्करी के पैसे को ही फिक्स्ड डिपाजिट किया गया है।
बताते चलें कि सीबीआइ की टीम ने पिछले दिनों अनुब्रत मंडल के अकाउंटेंट मनीष कोठारी से पूछताछ की थी। सूत्रों के मुताबिक मंडल तथा उनकी पुत्री सुकन्या से जुड़ी कंपनियों के बैलेंस शीट को लेकर सीबीआइ अधिकारियों ने मनीष कोठारी से पूछताछ की थी। केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक इन कंपनियों के जरिए मवेशी तस्करी की काली कमाई को सफेद किया गया था। सूत्रों का कहना है कि जांच अधिकारियों ने मनीष से सुकन्या की संपत्ति का हिसाब मांगा है।
सीबीआइ की एक टीम ने तृणमूल के बीरभूम जिलाध्यक्ष मंडल को बोलपुर में उनके आवास से गिरफ्तार किया था। उन्होंने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए कई बार सीबीआइ के समन को नजरअंदाज किया था। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि फरार तृणमूल नेता विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा और मंडल ने कथित मवेशी तस्कर इनामुल हक के सहयोगियों को संरक्षण दिया था। उन्होंने कहा कि इनामुल हक इलम बाजार में मवेशियों की खरीद करता था।