नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा तय करने के लिए पहल करने का समय आ गया है क्योंकि ‘बहुत सीमित समय’ उपलब्ध है और एक ही मामले में वकीलों द्वारा तर्क दिए जाने की मांग की जा रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया भारत के मुख्य न्यायाधीश (1993-1994 में) थे, तो यह सुझाव दिया गया था कि मामलों की सुनवाई के लिए एक समय सीमा हो।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने यह बात कही, ‘हमें अब इसके बारे में सोचने की जरूरत है। इस पर गम्भीरता से विचार करें। यह सोच बहुत पहले से चली आ रही है लेकिन हमने उस पर अमल नहीं किया। डा सिंघवी (वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी) याद कर सकते हैं कि मुख्य न्यायाधीश वेंकटचलैया के दौरान, यह सुझाव दिया गया था कि हमारे पास सुनवाई के लिए समय सीमा होनी चाहिए।’
पीठ ने मामले में केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस संबंध में पहल की जाए। कहा, ‘कृपया पहल करें। यह समय है, अब उच्च समय है, पीठ ने कहा, ‘बहुत सीमित समय उपलब्ध है और कई वकील एक मामले में एक ही बिंदु पर बहस करना चाहते हैं। यही हो रहा है। अब यही अनुभव है।’
मेहता ने कहा, ‘आपका लार्डशिप पहल कर सकती है। हम केवल समर्थन कर सकते हैं।’ शुरुआत में, मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि क्या मामले को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए लिया जा सकता है क्योंकि उन्हें दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित किए जा रहे संविधान दिवस के समारोह में भाग लेना होगा और इस मामले में थोड़ा लंबा समय लग सकता है।