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अमरनाथ श्रद्धालुओं ने आपबीती सुनाई, बोले- बाबा भोले ने बचाने के लिए फौजी भेज दिए, सेना को शत-शत नमन


बालटाल, । पवित्र गुफा पर प्रकृति की विनाशलीला में बचकर पहुंचे श्रद्धालुओं के चेहरों पर भय के बजाय श्री अमरेश्वर धाम के प्रति आस्था और सेना-सुरक्षाबलों के प्रति आभार नजर आ रहा था। जिसे देखो, वही कह रहा था, भोले बाबा ने बचाने के लिए फौजी भेज दिए। अगर पलभर की देरी हो जाती तो जान पर भारी पड़ती। सेना को शत-शत नमन। जिसे देखो, वही सुरक्षाबलों की तारीफ की, जिन्होंने बारिश और अंधेरे के बीच फिसलन भरी पगडंडियों पर अपनी जान जोखिम में डाल करीब 15 हजार श्रद्धालुओं लगभग 15 घंटे में पवित्र गुफा और उसके साथ सटे इलाकों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया।

समुद्रतल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास शुक्रवार की शाम को अत्याधिक बारिश होने से अचानक बाढ़ आ गई थी। इसमें करीब 40 लंगर व टेंट बह गए। इसमें 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, 65 घायल हुए और 41 अभी भी लापता हैं। पवित्र गुफा और उसके आसपास के क्षेत्रों में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बारिश के थमते ही बचाव कार्य शुरु करते हुए सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का अभियान चलाया जो आज सुबह नौ बजे तक जारी रहा।

अगर एक मिनट के लिए चूक जाता तो डूब जाता

आज सुबह ही यहां बालटाल पहुंचे शुभम गर्ग नामक एक श्रद्धालु ने कहा कि मैं वहां एक दुकान पर चाय पी रहा था। वहां तीन नाले थे, एक बर्फ वाला था और एक सूखा था और उसमें सिर्फ मिट्टी थी, तीसरे में थोड़ा पानी था। फिर अचानक बर्फ वाले नाले मे पानी आया और फिर अन्य दोनों नालों में भी चट्टानें और मलबे के साथ पानी बहने लगा। जहां मैं चाय पी रहा था,वहां से सब भागे। मैं भी दुकानदार के पीछे भागा। अगर एक मिनट के लिए चूक जाता तो मैं भी डूब जाता। यह बाबा बर्फानी की कृपा है।

चारों तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा

उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी दीपक चौहान ने कहा कि वहां तो भगदड़ मची हुई थी, लेकिन सेना ने बहुत से लोगों को बचाया। कई पंडाल बाढ़ मे बह गए। महाराष्ट्र से आए श्रद्धालु समित ने कहा कि बादल फटने के बाद जो बाढ़ आई उसमें बड़े-बड़े पत्थर थे। मैंने ऐसा पहले कभी कुछ नहीं देखा था। चारों तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा। हम आठ लोग हैं और भोलेनाथ की कृपा से हम सभी बच गए हैं। हमने जो देखा, वह काफी डरावना था, 10 मिनट में ही आठ लोगों की मौत हो गई।

दोमेल के पास मौजूद एक बुजुर्ग दंपत्ति ने कहा कि जैसे ही बाढ़ आयी, पत्थर गिरे, फौजियों ने हमारी मदद की। हम बह जाते,लेकिन उन्होंने हमें पहाड़ के साथ खड़ा कर दिया और फिर हमें वहां से निकाला। अगर एक पल भी देरी होती तो हम मारे जाते। फौज को शत-शत नमन।

सिक्योरिटी फोर्स के कुछ जवान हमारी तरफ दाैड़े और उन्होंने हमें अपनी तरफ खींचा

मकराना राजस्थान के मट्टु सिंह ने कहा कि अचानक बिजली कड़की, जोरदार आवाज हुई और फिर पानी बरसा। हमने देखा कई टेंट बह गए, सामान बह रहा था, कईं लोग भी हमने पानी में देखे। हमें समझ में नहीं आया कि क्या हुआ। हमने देखा कि सिक्योरिटी फोर्स के कुछ जवान हमारी तरफ दाैड़े और उन्होंने हमें अपनी तरफ खींचा। हमारे लिए फौजियों को भोले बाबा ने भेजा था। जब हम सभी को पवित्र गुफा से नीचे की तरफ रवाना किया जा रहा था ताे रास्ते में अंधेरा था, लेकिन सुरक्षाबल जगह-जगह खड़े हो, सभी की मदद कर रहे थे। एक जगह बहुत भीड़ थी, लोग आगे चल नहीं पा रहे थे, सीआरपीएफ के जवान आए तो उन्होंने वहां रास्ता बनाया।

अचानक बारिश तेज हुई और सब कुछ बदल गया

मनोहर नामक एक श्रद्धालु ने कहा कि स्थिति बहुत भयावह थी। अचानक बारिश तेज हुई और सब कुछ बदल गया। ऐसी बाढ़ मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। रात को जब हम तीन दोस्त बालटाल के लिए निकले तो डर लग रहा था। कई बार लगा कि बाढ़ से बच गए हैं, अंधेरे में पहाड़ पर चलते हुए अगर फिसल कर नीचे खाई में गिरे तो फिर नहीं बच पांएगे। रास्ते में हमें कई जगह सुरक्षाबलों ने हमारी मदद की। वहां 15 हजार के करीब लोग थे, आज सुबह तक सभी यहां बालटाल पहुंच गए। मुझे लगता है कि यह रिकार्ड ही होगा कि 15 हजार लोगों को ऐसी त्रासदी में सुरक्षित निकाला गया।