अमित शाह ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में अपनी गिरफ्तारी, जिसमें उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था, का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय भाजपा ने कोई ‘धरना’ नहीं दिया था।
अमित शाह के इंटरव्यू की प्रमुख बातें
- लोकतंत्र में पीएम मोदी ने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे सभी राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा संविधान का सम्मान किया जाना चाहिए।
- मोदीजी से भी सवाल किया गया था, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया और देश भर के भाजपा कार्यकर्ता मोदीजी के साथ एकजुटता में एकत्र नहीं हुए।
- हमने कानून के साथ सहयोग किया।
- मुझे भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई विरोध या प्रदर्शन नहीं हुआ।
नानावती आयोग ने भी दी पीएम मोदी को क्लीन चिट
गृह मंत्री ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन करने के कांग्रेस पार्टी के फैसले पर चुटकी लेते हुए कहा यह पीएम मोदी को मिली पहली क्लीन चिट नहीं है। नानावती आयोग ने भी उन्हें क्लीन चिट दे दी है। फिर भी एसआईटी का गठन किया गया था और मोदी जी एसआइटी के सामने नाटक नहीं कर रहे थे।
‘हमें न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए’
- अमित शाह ने कहा कि हम मानते हैं कि हमें न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश था, और एक एसआइटी थी। अगर एसआइटी मुख्यमंत्री से सवाल पूछना चाहती है, तो उन्होंने खुद कहा कि वह सहयोग करने के लिए तैयार हैं। विरोध क्यों करें।
- कोई भी व्यक्ति कानून से परे नहीं है।
- न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ विरोध को जायज नहीं ठहराया जा सकता।
‘मुझे फंसाने के लिए रची गई साजिश’
गृह मंत्री ने कहा कि ‘किसी भी न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ कोई विरोध उचित नहीं है क्योंकि न्यायपालिका के ऐसा कहने पर हमारे विचार को सही माना जाता है। मुझे सलाखों के पीछे डाल दिया गया था। मैं कहता था कि मैं निर्दोष हूं। लेकिन जब अदालत ने कहा कि मेरे खिलाफ एक फर्जी मामला दर्ज किया गया था और सीबीआइ ने मुझे फंसाने के लिए राजनीति से प्रेरित साजिश रची थी, तब मेरी बात सही साबित हुई।’
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड से जुडे मनी लांड्रिंग केस में राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए बुलाया था, जिस दौरान कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उग्र प्रदर्शन किया। इस दौरान कुछ नेताओं की शर्मनाक करतूत भी सामने आई थी। कांग्रेस नेता नेट्टा डिसूजा ने जहां सुरक्षाकर्मियों पर थूक दिया तो वहीं अलका लांबा पुलिसकर्मियों से भिड़ गईं। प्रदर्शन करने के मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था।